बहरेपन का संकेत, भूलकर भी न करें नजरअंदाज : सुनने की क्षमता जीवन का एक अहम हिस्सा है. यह लोगों को दूसरों से जुड़ने, भाषा सीखने और दुनिया का अनुभव करने में मदद करता है, लेकिन क्या होगा अगर आप अपनी सुनने की क्षमता खोना शुरू कर दें?
बहरेपन के शुरुआती लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो सकता है, लेकिन जल्दी पता लगाने से इलाज और लाइफस्टाइल में बदलाव से सुनने की क्षमता में गिरावट को धीमा करने में मदद मिल सकती है. यहां कुछ सामान्य लक्षण दिए गए हैं जो बता सकते हैं कि आप अपनी सुनने की क्षमता खो रहे हैं।
बहरेपन के शुरुआती लक्षण
1. शांत आवाजें सुनने में परेशानी
यह सबसे आम लक्षण है. इस स्थिति में लोगों को फुसफुसाते हुए, टीवी कम आवाज में सुनने में परेशानी हो सकती है या यह समझने में परेशानी हो सकती है कि लोग क्या कह रहे हैं, खासकर शोरगुल वाले वातावरण में।
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2. साउंड को सुनने में दिक्कत
हाई पिच वाली आवाजें, जैसे कि बच्चों की आवाजें या महिलाओं की आवाजें या कम पिच वाली आवाजें जैसे कि पुरुषों की आवाजें सुनने में परेशानी हो सकती है।
3. भाषण को समझने में परेशानी
ऐसे लोगों को यह समझने में परेशानी हो सकती है कि लोग क्या कह रहे हैं, भले ही आप उन्हें जोर से सुन सकें।
4. कानों में बजना (टिनिटस)
यह एक निरंतर बजना, गुनगुनाना या सीटी जैसी आवाज हो सकती है जो एक या दोनों कानों में हो सकती है।
5. बार-बार कान में संक्रमण
अगर आपको बार-बार कान में संक्रमण होता है, तो यह आपकी सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है।
6. चक्कर आना या असंतुलन
कुछ मामलों में सुनने की हानि चक्कर आना या असंतुलन का कारण बन सकती है. ऐसे कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
सुनने में परेशानी होने के कारण
सुनने की क्षमता उम्र के साथ स्वाभाविक रूप से कम होती जाती है।
ज्यादा शोर के संपर्क में आने से सुनने की क्षमता को नुकसान हो सकता है, खासकर अगर आप लंबे समय तक शोर के संपर्क में रहते हैं।
कुछ दवाएं सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
कान में इंफेक्शन होने पर सुनने में काफी हद तक परेशानी हो सकती है।
सिर या कान में चोट से सुनने की क्षमता को नुकसान हो सकता है।
जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण भी बहरेपन की समस्या हो सकती है।
इन बातों का रखें खास ख्याल
सुनने में परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
शोर वाले स्थानों पर जाने से बचें।
चिल्लाए बिना स्पष्ट रूप से बोले।
इशारों, होठों को पढ़ना शामिल करें।
साइड टॉक से बचें।
ज्यादा तनाव न लें।
अपना मुंह ढके बिना बोलें।
ईयरबड्स ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल कम करें।
रोजाना गहरी सांस लेना या योग करें।