मुंबई (कार्यालय संवाददाता)। मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने प्रवर्तन निदेशालाय को दिए अपने बयान में चौंकाने वाला दावा किया है। परमबीर सिंह ने कहा है कि तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख के दबाव के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक रखने के आरोपी बर्खास्त असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर सचिन वाझे की बहाली के निर्देश दिए थे।
ईडी को दिए बयान में सिंह ने दावा किया है कि देशमुख ने 30 नवंबर 2021 को वाझे से मुलाकात की थी और उससे ईडी को दिए अपने बयान को वापस लेना का आग्रह किया था। परमबीर सिंह ने यह भी खुलासा किया है कि देशमुख के निर्देशों पर उन्होंने दिसंबर 2020 और फरवरी 2021 के बीच ऑक्रेस्ट्रा बार के मालिकों से कुल 4.7 करोड़ रूपए वसूले थे। इस पैसे को देशमुख के सहयोगी कुंदन शिंदे दो किस्ते में दिया गया।
परमबीर सिंह ने आगे कहा कि वाजे पर बयान को वापस लेने का लगातार दबाव डाला जा रहा था। इसके लिए वाझे को मजबूर करने के लिए जेल में डेली स्ट्रीप की तलाशी भी ली गई थी। सिंह ने यह बयान ईडी की ओर से देशमुख और उनके बेटे सलिल, हृषिकेश और चार्टर्ड अकाउंटेंट भाविन पंजवानी के खिलाफ 29 दिसंबर, 2021 को मुंबई में विशेष पीएमएलए कोर्ट के समक्ष दायर पूरक आरोप-पत्र का हिस्सा हैं।
सिंह ने 3 दिसंबर 2021 को एजेंसी को दिए अपने बयान में आरोप लगाया है कि अनिल देशमुख की ओर से वाझे को फिर से सर्विस में लेने का दबाव भी बनाया गया था।
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उन्होंने दावा किया है कि उनके पास आदित्य ठाकरे और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी सीधे निर्देश थे। अपने बयान में पूर्व पुलिस कमिश्नर ने यह भी दावा किया है कि उन्हें वाजे को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में पोस्टिंग और कुछ महत्वपूर्ण यूनिट का प्रभार देने के लिए इसी तरह के निर्देश मिले थे। जिसके बाद वाजे को कुछ महत्वपूर्ण केस की जांच के नेतृत्व का जिम्मा दिया गया था।
मुख्यमंत्री और गृह मंत्री से मिले निर्देश के बाद वाजे को कुछ महत्वपूर्ण केसों की जांच के नेतृत्व का जिम्मा दिया गया था। यहां तक कि कुछ हाई प्रोफाइल मामलों में आगे की कार्रवाई के लिए ब्रीफिंग और निर्देश देने के लिए दोनों (सीएम और गृहमंत्री) की ओर से बुलाया भी गया था। सिंह ने कहा कि वाझे ने यह भी बताया था कि उसकी बहाली और तैनाती के लिए देशमुख ने दो करोड़ रूपए की मांग की थी।
सिंह ने राज्य में बने पुलिस इस्टैब्लिशमेंट बोर्ड पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यहां केवल एक फॉर्मेल्टी पूरी होती है। अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की सूची तो देशमुख के यहां से तैयार होकर आती थी।