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'साउथ एशियन रीजन में फूड लॉस एंड वेस्ट प्रीवेंशन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा आयोजित'

'India and other countries conducted deep study on the effects of food wastage'

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद थुनेन संस्थान के सहयोग से 30 अक्टूबर से 1 नवंबर, 2023 तक राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर, नई दिल्ली में ‘साउथ एशियन रीजन में फूड लॉस एंड वेस्ट प्रीवेंशन’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रही है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद थुनेन संस्थान के सहयोग से 30 अक्टूबर से 1 नवंबर, 2023 तक राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर,नई दिल्ली में ‘साउथ एशियन रीजन में फूड लॉस एंड वेस्ट प्रीवेंशन’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रही है।

कार्यशाला में भारत समेत श्रीलंका, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश और मालदीव से विभिन्न हितधारक भाग ले रहे हैं।

यह प्रतिभागी दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और समाज पर खाद्य हानि तथा बर्बादी के प्रभावों पर चर्चा करेंगे।

क्या है कार्यशाला का उद्देश्य इस तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान और खाद्य अपशिष्ट के आकलन और प्रभाव, आपूर्ति श्रृंखला में फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान की रोकथाम, घरों एवं सामुदायिक कार्यक्रमों में भोजन की बर्बादी की रोकथाम तथा फूड बैंक नेटवर्क और सर्कुलर इकॉनमी की भूमिका जैसे मुद्दों को संबोधित करना है।

पर्यावरण और समाज पर खाद्य हानि तथा बर्बादी के प्रभाव पर होगी चर्चा कार्यशाला में दक्षिण एशियाई देशों जैसे भारत, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश और मालदीव से विभिन्न हितधारक शामिल हो रहे हैं।

प्रतिभागी दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और समाज पर खाद्य हानि तथा बर्बादी के प्रभाव पर चर्चा करेंगे और भोजन की हानि एवं बर्बादी मापने तथा मूल्यांकन करने के तरीकों पर ज्ञान और विशेषज्ञता साझा करेंगे।

इसके अलावा, क्षेत्र के विभिन्न देशों की सफलता की कहानियों और केस स्टडी के साथ-साथ भोजन की हानि और बर्बादी को रोकने के लिए तकनीकों, दृष्टिकोण और रणनीतियों पर ज्ञान भी साझा किया जाएगा।

इसका असर उत्पादन से उपभोग तकऔर खाद्य सुरक्षा एवं उपलब्धता, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था तथा समाज पर प्रभाव डालती है।

यह मुद्दा दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए अधिक महत्व रखता है, जो एक प्रमुख खाद्य उत्पादक होने के साथ-साथ भोजन का उपभोक्ता भी है।

ज्ञात हो कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम  की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए, भोजन की बर्बादी को कम करना बेहद महत्वपूर्ण है।

वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 8 से10 प्रतिशत हिस्सा, अपशिष्ट भोजन से आता है, जिससे अस्थिर जलवायु व सूखा एवं बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाओं में योगदान होता है ।

विभिन्न मुद्दों और उपलब्ध समाधानों पर पैनल चर्चा भी होगी कार्यक्रम में दक्षिण एशियाई देशों के साथ-साथ जर्मनी,अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संगठनों से आने वाले विभिन्न हितधारकों की प्रस्तुतियाँ शामिल होंगी।

इसके अलावा विभिन्न मुद्दों और उपलब्ध समाधानों पर पैनल चर्चा होगी, जिसके बाद कुछ संगठनों का दौरा किया जाएगा, जिन्होंने फसल के बाद होने वाले नुकसान और भोजन की बर्बादी के मुद्दे को सफलतापूर्वक संबोधित किया है।

इन प्रतिनिधियों में उद्योग, आईसीएआर संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय, भारतीय खाद्य निगम, केंद्रीय भंडारण निगम, इग्नू, आईआईटी आदि जैसी सरकारी एजेंसियां ​​शामिल हैं।

अप्रैल 2023 में भारत और जर्मनी के बीच हुई थी एक द्विपक्षीय बैठक अप्रैल 2023 के दौरान भारत के वाराणसी में आयोजित जी20-एमएसीएस के दौरान भारत और जर्मनी के बीच एक द्विपक्षीय बैठक हुई थी।

जिसमें दोनों देशों ने खाद्य हानि और अपशिष्ट की चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक क्षेत्रीय कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया था।

उस दौरान यह समझा गया कि प्रचुर कृषि उत्पादन के बावजूद, खाद्य आपूर्ति चेन के दौरान भोजन की एक बड़ी मात्रा नष्ट हो जाती है या बर्बाद हो जाती है।

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