नवरात्रि के चौथे दिन आज इस विधि से करें मां कूष्माण्डा की पूजा ; कूष्माण्डा एक संस्कृत शब्द है. इसका अर्थ है कुम्हड़ा, अर्थात वह फल जिससे पाठा बनता है. इस कारण से, अपनी मां को प्रसन्न करने के लिए कद्दू दान करना, कद्दू, विशेष रूप से भूरे रंग के कद्दू भेंट करना चाहिए. ऐसा करना शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि आठ भुजाओं वाली विशालकाय देवी कुष्मांडा की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं तथा सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
कुष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं. और वह सिंह पर सवार होकर आती है, उसके हाथ में माला होती है. देवी कुष्मांडा का स्वरूप मंद मुस्कान वाला है. कहा जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब भगवती के इसी स्वरूप ने मृदु मुस्कान से सृष्टि की रचना की थी. इसीलिए वह ब्रह्माण्ड का मूल रूप और मूल ऊर्जा है. ऐसा माना जाता है कि देवी कुष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के आंतरिक जगत में है।
मां कूष्माण्डा सिंह पर सवार रहती हैं. उसकी आठ भुजाएं हैं. तथा अपने सभी हाथों में वह कमल पुष्प, अमृत से भरा कलश, कमंडल, तथा धनुष, बाण, गदा सहित अनेक अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं. लेकिन अपने आठवें हाथ में वह एक माला धारण करती हैं जो सभी सिद्धियों और धन को प्रदान करती है. माता को कमण्डल बहुत प्रिय है. इसलिए, वह इसे हमेशा अपने हाथ में रखती है।
इसी कारण इन्हें देवी कुष्मांडा कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान देवी कुष्मांडा की पूजा करने से हम किसी भी तरह की बीमारियों या स्वास्थ्य समस्याओं से जल्द ही राहत पा सकते हैं और अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त कर सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति मां कूष्मांडा की पूजा करता है उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति होती है।