अब समुंदर खंगालेगा नया भारत :- आकाश के बाद अब भारत ने विज्ञान और तकनीक की दुनिया में एक और उपलब्धि हासिल करने की तैयारी कर रहा है. देश का पहला मानवयुक्त समुद्रयान मिशन अब परीक्षण के अंतिम चरण में है, जो वैज्ञानिकों को समुद्र की गहराई में पहुंचाकर अनजानी दुनिया के रहस्यों को उजागर करेगा।
भारत ने विज्ञान और तकनीक की दुनिया में एक और बड़ा कदम बढ़ाया है. देश का पहला मानवयुक्त समुद्रयान मिशन अब परीक्षण के अंतिम चरण में है, जो वैज्ञानिकों को समुद्र की गहराई में पहुंचाकर अनजानी दुनिया के रहस्यों को उजागर करेगा. साल 2026 में लॉन्च होने वाली ‘मत्स्य 6000’ पनडुब्बी भारत को वैश्विक समुद्री अनुसंधान के क्षेत्र में एक विशेष मुकाम दिलाएगी।
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गहराई तक पहुंचने वाली मानवयुक्त पनडुब्बी
मत्स्य 6000 एक अत्याधुनिक मानव संचालित पनडुब्बी है, जिसे तीन वैज्ञानिकों को समुद्र की 6000 मीटर गहराई तक ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है. इस पनडुब्बी में अत्याधुनिक सेंसर और उपकरण लगे होंगे, जो समुद्र की गहराई में छिपे प्राकृतिक संसाधनों और जीव-जंतुओं का अध्ययन करने में मदद करेंगे. यह पनडुब्बी सामान्य परिस्थिति में 12 घंटे और आपातकालीन स्थिति में 96 घंटे तक संचालन कर सकेगी।
समुद्रयान मिशन की शुरुआत और वित्तीय प्रबंधन
इस महत्वाकांक्षी परियोजना का शुभारंभ वर्ष 2021 में भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा किया गया था. चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) इस मिशन का नेतृत्व कर रहा है. इस मिशन के लिए कुल 4,077 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है, जिसमें से अतिरिक्त 600 करोड़ रुपये हाल ही में मंजूर किए गए हैं।
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वर्तमान स्थिति और आगे का रोडमैप
सितंबर 2024 में मत्स्य 6000 का टाइटेनियम हुल बनकर तैयार हो चुका है. इस वर्ष पहले चरण में 600 मीटर तक के शैलो वॉटर ट्रायल सफलतापूर्वक पूरे किए गए हैं. इसी साल के अंत तक गहराई में 600 से 3000 मीटर तक के ट्रायल भी सम्पन्न होंगे. साल 2026 तक इसे पूरी क्षमता से 6000 मीटर गहराई में तैनात कर तीन वैज्ञानिकों के साथ प्रयोग किया जाएगा।
समुद्रयान मिशन का महत्व और भारत को मिलने वाले लाभ
हिंद महासागर में विशाल खनिज संसाधनों जैसे पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स, गैस हाइड्रेट्स और अन्य खनिजों का भंडार है, जिनका दोहन इस मिशन से संभव होगा. इससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और समुद्री जैव विविधता पर नई रिसर्च के द्वार खुलेंगे. इस मिशन के सफल होने पर भारत अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन जैसे समुद्री शोध क्षेत्र में अग्रणी देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।
भारत की समुद्री ताकत और भविष्य की योजनाएं
भारत न केवल गहराई में रिसर्च कर रहा है, बल्कि ब्लू इकोनॉमी के क्षेत्र में भी तेजी से प्रगति कर रहा है. 2030 तक देश का लक्ष्य 88.75 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बनाना है. समुद्रयान मिशन इस लक्ष्य को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. चीन जैसे देश पहले से ही समुद्र की गहराइयों में रिसोर्सेज की खोज में लगे हैं, ऐसे में भारत का यह कदम वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उसकी स्थिति को मजबूती देगा।

