उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में खनन माफिया का बोलबाला चल रहा है और खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि शिकायत करने पर भी पुलिस प्रशासन उनके ऊपर कार्रवाई करने से टालमटोल करता है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह खनन न केवल प्राकृतिक संसाधनों को क्षति पहुंचा रहा है, बल्कि राजस्व के नुकसान का भी कारण बन रहा है।
सहस्त्रधारा नदी, जो पूरे दिन खनन के लिए खुली रहती है, परंतु ना तो खनन अधिकारियों को दिखता है और ना ही पुलिस प्रशासन को दिखता है।
सहस्त्रधारा की नदी जहां पर सुबह 4:00 बजे से लेकर रात 12:00 तक खनन होता रहता है परंतु ना तो खनन अधिकारियों को दिखता है और ना ही पुलिस प्रशासन को दिखता है और ना यह फॉरेस्ट डिपार्मेंट के लोगों को नजर आता है।
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जानकारी के अनुसार, अंदाजन डेढ़ किलो मीटर सहस्त्रधारा से कालीरो तक की नदी में तीन चार लाख रूपए रोज का राजस्व का नुकसान हो रहा है।
जो करीब महीने में डेढ़ करोड़ बैठता है एक तरफ सरकार राजस्व का रोना रोती रहती है और शराब की दुकान खोल कर राजस्व को बढ़ा रही है वही हजारों करोड़ का राजस्व माफिया अपने घर लेकर जा रहे हैं जागो सरकार जागो
आखिरकार, “जागो सरकार जागो” नहीं बल्कि “सरकार जागो” का संदेश बड़े जोर से देने का समय आ गया है।