देहरादून
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देहरादून के 4 बड़े अस्पतालों की पैथोलॉजी लैब में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा, फर्जी डॉक्टरों और हॉस्पिटलों पर सख्त कार्रवाई की मांग

"Major irregularities revealed in the labs of 4 big scientists of Dehradun: Demand for strict action against fake documents and hospitals"

उत्तराखंड: देहरादून में हो रहे डेंगू मरीजों के इलाज के दौरान आए गंभीर अनियमिताओं का  हुआ खुलासा , जिसमें व्यापक रूप से फर्जी डॉक्टरों और हॉस्पिटलों के शामिल होने का संदेह है।

जिलाधिकारी सोनिका ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है और जांच के निर्देश दिए हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिलाधिकारी सोनिका द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि डेंगू मरीजों के उपचार एवं जांच में लापरवाई पर कड़ी कार्यवाही की जाए तथा जनपद अवस्थित लैब्स एवं चिकित्सालयों का जिला स्तरीय टीम द्वारा स्थलीय निरीक्षण करते हुए नियमित जांच की जाए।

जिलाधिकारी के निर्देशों के क्रम में जिला स्तरीय टीम द्वारा जनपद अवस्थित सविता गोयल पैथोलॉजी लैब, पेनिसिया हॉस्पिटल, सिनर्जी, चिकित्सा कैलाश चिकित्सालय में अनियमितता पाए जाने के फलस्वरूप मुख्य चिकित्साधिकारी की ओर से सम्बन्धित चिकित्सा अधीक्षकों/प्रबन्धकों को कारण बताओ नोटिस जारी किये गए हैं।

जिला स्तरीय टीम ने पाया कि सविता गोयल पैथोलॉजी लैब द्वारा एक डेंगू के भर्ती मरीज (बेबी सनाया, 06 वर्ष) की 51,000 प्लेटलेट्स काउंट की रिर्पाेट दी गई थी किन्तु NABL लैब से क्रास चैक करने पर 2. 73 लाख पाई गई है।

पेनिशिया अस्पताल एवं पैथोलॉजी लैब में प्लेटलेट्स काउंट का क्रास चैक किया गया है।

चिकित्सालय की पैथोलॉजी लैब द्वारा एक डेंगू के भर्ती मरीज (अभिजीत) की 10,000 प्लेटलेट्स काउंट की रिर्पाोट दी गई थी किन्तु सरकारी लैब से कासचौक करने पर 32,000 पाई गई है।

सिनर्जी अस्पताल, चिकित्सालय की पैथोलॉजी लैब द्वारा एक डेंगू के भर्ती मरीज (अजय कुमार) की 19,000 प्लेटलेट्स काउंट की रिर्पाोट दी गई थी किन्तु सरकारी लैब से क्रास चैक करने पर 30,000 पाई गई है।

कैलाश अस्पताल, एवं पैथोलॉजी लैब में प्लेटलेट्स काउंट का कासचौक किया गया है।

चिकित्सालय की पैथोलॉजी द्वारा एक डेंगू के भर्ती मरीज (भगत सिंह) की 14,000 प्लेटलेट्स काउंट की रिपोर्ट दी गई थी किन्तु सरकारी लैब से क्रास चैक करने पर 80,000 पाई गई है।

टीम द्वारा निरीक्षण जांच में पाया गया कि लैब्स की रिपोर्ट में अनियमिताएं पाई गई, इस प्रकार की रिपोर्ट से मरीजों के तीमारदारों में घबराहट (Panic) स्थिति उत्पन्न हो रही है।

इससे प्रतीत होता है कि डॉक्टरों और अस्पतालों ने निर्देशों और मानकों का सही तरीके से पालन नहीं किया है और डेंगू जैसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को संवेदनशीलता से नहीं देखा जा रहा है।

इसके बाद, मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून द्वारा उक्त चिकित्सालयों और लैबों को नोटिस जारी किया गया है, और उनसे तीन दिनों के भीतर सभी साक्ष्यों के साथ जवाब मांगा गया है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा भी कुछ संस्थानों पर औषधि निरीक्षण की मांग की गई है और यदि किसी संस्थान ने औषधियों का विपणन बिना औषधि लाइसेंस के किया है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी हो रही है।*

उत्तराखंड सरकार को इस मामले में फर्जी डॉक्टरों और फर्जी हॉस्पिटलों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए जिससे की मरीजों और उनके परिजनों को परेशानी का सामना ना करना पड़े ।

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