उपवास की संकल्पना आयुर्वेद से देखने को मिलती है। शाब्दिक अर्थ है,,ईश्वर के नजदीक रहना लेकिन सेहत के मामले में इसका मतलब है पाचन तंत्र को आराम देना।
बता दें कि चैत्र नवरात्रि में गर्मी के मौसम के चलते पाचन तंत्र भी कमजोर हो जाता है। ऐसे में सात्विक आहार के साथ-साथ कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना भी काफी जरूरी है तभी सही मायने में उपवास की सार्थकता है।
उपवास की सफलता इसी में है, जब पाचन तंत्र को आराम मिलने के साथ मन भी शांत और स्थिर रहे। गौरतलब है, कि 09 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है।
ऐसे में सात्विक आहार के साथ-साथ मानसिक संयम का भी पालन करना भी बेहद जरूरी है। चूंकि, गर्मियों के इस मौसम में पाचन तंत्र की क्षमता वैसे भी कमजोर हो जाती है, इसलिए आठ-नौ दिन लघु आहार यानी सुपाच्य भोजन करने से उपवास की सार्थकता पूरी की जा सकती है।
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फलाहार में रखें कुछ बातों का ध्यान
जानकारी के मुताबिक,, आमतौर पर उपवास के दौरान लोग आलू, मीठा आलू, साबूदाना, मूंगफली, दही आदि का सेवन करने लग जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह का भोजन आसानी से नहीं पच पाता है।
आधुनिक शास्त्र के मुताबिक इसमें कार्बोहाइड्रेट की अधिकता होती है। उपवास का नियम है लघु भोजन, लेकिन आजकल का यह लाइफस्टाइल, ठीक इसके उलट साबित हो रहा है।
श्रीअन्न है गुणकारी
कुट्टू (एक तरह का श्रीअन्न) और रई (सामा) चावल दोनों ही पचने में सहज हैं और उपवास में गुणकारी भी।
चूंकि, हम पाचन तंत्र को आराम दे रहे हैं तो ध्यान रखें ऐसे में भोजन की मात्रा रोजाना की डाइट से आधी हो।
गर्मी के दिनों के नवरात्र में हमें ध्यान रखना है कि पानी की मात्रा कम न हो। इसके लिए नींबू शरबत, हल्की लस्सी, छाछ को भरपूर मात्रा में लेना है।
इसके अलावा, मौसमी फलों का पर्याप्त सेवन भी करें। इस मौसम में आप तरबूज, संतरे और खीरा आदि ले सकते हैं। आलू, साबूदाना के बजाय कुट्टू, सामा चावल, सिंघाड़ा, मखाना का सेवन ज्यादा बेहतर साबित होगा।
बता दें, कि मखाना पचने में आसान होता है और इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा में होता है। कम मात्रा में मूंगफली ले सकते हैं।
साथ ही, उपवास के लिए आहार तैयार करते समय ज्यादा मात्रा में घी या तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
दही को छाछ के रूप में लें तो बेहतर है। गर्मी के दिनों में हमारे शरीर का बल कम होता है और हम भोजन भी कम करते हैं।
ऐसे में बहुत भारी वजन उठाने या बहुत अधिक चलने-फिरने से बचना चाहिए।
मानसिक उपवास के लिए जरूरी नियम
अगर आप इन नौ दिनों के दौरान डिजिटल और इंटरनेट मीडिया से दूर रहें, तो मन का भी उपवास हो जाएगा। उपवास का अर्थ ही है संयम बढ़ाना।
टीवी, इंटरनेट मीडिया के प्रलोभन से बचें। प्रयास करें, कि अगर पूरा दिन टीवी या मोबाइल देखते हैं तो एक घंटा देखें या ना ही देखें तो सेहत के लिए बेहतर होगा।
अगर शारीरिक-मानसिक उपवास करते हैं तो हमारा आत्मिक संयम बढ़ जाता है। सत्व गुणों को बढ़ाना हमारे उपवास का मतलब होता है।
सत्व गुण बढ़ाने लिए जैसे हम सात्विक आहार लेते हैं उसी तरह के मन के सत्व गुण को बढ़ाने के लिए चंचलता, निराशा, चिड़चिड़ापन और एंजाइटी बढ़ाने वाले कारणों से दूर रहना होगा।