Jharkhand News : झारखंड हाइकोर्ट ने अल्पसंख्यक बीएड कॉलेजों के मामले में प्रवेश परीक्षा नियमावली व 85 प्रतिशत सीटों को झारखंड से पढ़े छात्रों के लिए रिजर्व करने को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान प्रार्थी का पक्ष सुना.
खंडपीठ ने विश्वविद्यालयों को रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए पूछा कि बीएड कॉलेजों में नामांकन से संबंधित आर्डिनेंस बनाने के पूर्व क्या सारी प्रक्रिया पूरी की गयी थी या नहीं. खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया.
सुनवाई के दौरान जेसीइसीइबी की और से अधिवक्ता ने खंडपीठ को बताया कि फिलहाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा-2022 की प्रक्रिया स्थगित की जा रही हैै, जिसे खंडपीठ ने रिकॉर्ड में शामिल कर लिया.
मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने छह जून की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की और से वरीय अधिवक्ता ए अल्लाम ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि राज्यपाल द्वारा आर्डिनेंस जारी करने के पूर्व विश्वविद्यालयों में किसी प्रकार की प्रक्रिया नहीं की गयी थी.
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ऑर्डिनेंस के पूर्व सीनेट
ऑर्डिनेंस के पूर्व सीनेट : सिंडीकेट की स्वीकृति लेनी होती है, जो नहीं ली गयी थी. बीएड़ कॉलेजों के 85 प्रतिशत सीटों को रिजर्व कर दिया गया है. इन सीटों पर झारखंड के संस्थानों से स्नातक व बीएड़ की पढ़ाई करनेवालों का नामांकन होगा. सिर्फ 15 प्रतिशत सीटें खुली रखी गयी है, जो संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है.
इसके अलावा अल्पसंख्यक बीएड कॉलेज व प्राइवेट कॉलेजों में सरकार की ओर से किसी प्रकार की वित्तीय सहायता नहीं दी जाती है, लेकिन उसके शिक्षण शुल्क सरकार द्वारा तय किया जा रहा है.
पूर्व में दो साल के पाठयक्रम के लिए 1.50 लाख रुपये शुल्क निर्धारित किया गया, जिसे घटा कर 1.20 लाख कर दिया गया है. इससे शिक्षण संस्थानों को वित्तीय समस्या का सामना करना पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अल्पसंख्यक बीएड कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन की ओर से याचिका दायर की गयी है.