देश का पहला राज्य बन गया हैं।
उत्तराखंड से शुरू हुए पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में चार जिलों देहरादून, हरिद्धार,उधमसिंह नगर और नैनीताल के पांच ब्लाॅकों के 200 रेशम उत्पादकों का जलवायु परिवर्तन पानी की कमी के दुष्प्रभाव से बीमा किया गया है।
अन्य खतरे सरल कृषि बीमा के तहत चलाई जा रही हैं।
योजना का शुभांरभ उत्तराखंड को-ऑपरेटिव सिल्क फेडरेशन लिमिटेड के चेयरपर्सन अजीत सिंह एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडियन लिमिटेड के सीएमडी गिरिजिया सुब्रमण्यम, नाबार्ड की उपस्थिति में किया गया था।
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सीजीएम वीके बिष्ट व निदेशक रेशम निदेशालय एके यादव को देहरादून में थे।
अजीत सिंह के अनुसार यह परियोजना राज्य में रेशम के उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम हैं।
राज्य में लगभग 12,000 परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रेशम उत्पादन से जुडे हुए हैं।
पिछले साल उत्तराखंड में 6,000 हितधारकों द्धारा लगभग 300 मीट्रिक टन रेशम फ़ाइब्राइन का उत्पादन किया गया था।
हरिद्धार के एक रेशम विज्ञानी महावीर सिंह ने कहा, सरकार द्धारा दिया गया बीमा निश्र्रित रूप से कठिन प्राकृतिक परिस्थितियों से हमारी रक्षा करेगा और हमें रेशम उत्पादन को बनाए रखने के लिए पे्ररित करेगा।