इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन साक्स ने अपनी एक रिसर्च में कहा कि भारत वर्ष 2075 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी।
भारत की 1.4 अरब आबादी दुनिया की सबसे अधिक आबादी बन जाएगी। इससे इसकी जीडीपी में खासा विस्तार होने का अनुमान है।
अब दूसरे देशों पर भारत का निर्भरता अनुपात होगा सबसे कम:
इस संबंध में गोल्डमैन साक्स रिसर्च के भारतीय अर्थशास्त्री शांतनु सेनगुप्ता ने कहा, भारत के लिए, बढ़ती आबादी की क्षमता को समझने की कुंजी अपने श्रम बल के भीतर भागीदारी को बढ़ावा देना है, साथ ही प्रतिभा के विशाल पूल के लिए प्रशिक्षण और कौशल प्रदान करना है।
ऐसे में “अगले दो दशकों में, भारत का निर्भरता अनुपात क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम में से एक होगा।
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आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि भारत की आबादी में कामकाजी लोगों की आबादी और बच्चों और बुजुर्गों की संख्या के बीच सबसे अच्छा अनुपात है।
आखिर अब देश के लिए यह सबसे उचित समय:
अर्थशास्त्री ने यह भी कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती आबादी की क्षमता को बाहर निकालने की कुंजी इसकी श्रम शक्ति की भागीदारी को बढ़ावा देना है।
उन्होंने कहा कि अगले 20 साल तक बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर भारत की निर्भरता का अनुपात घटेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘इसलिए यह भारत के लिए विनिर्माण क्षमता स्थापित करने, सेवाओं को बढ़ाना जारी रखने, बुनियादी ढांचे के विकास को जारी रखने का सही समय है।
देश में अधिक नौकरियां होंगी पैदा:
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे देश में अधिक नौकरियां पैदा करने और एक बड़ी श्रम शक्ति का उचित इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी।
गोल्डमैन ने अनुमान जताया कि पूंजी निवेश भारत की वृद्धि का एक और महत्वपूर्ण चालक होगा।
बचत दर भी बढ़ने की उम्मीद:
गोल्डमैन की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, “निर्भरता अनुपात में गिरावट, बढ़ती आय और वित्तीय क्षेत्र के विकास के साथ भारत की बचत दर बढ़ने की उम्मीद है, जिससे आगे निवेश को बढ़ावा देने के लिए पूंजी का पूल तैयार होगा।
श्रम बल भागीदारी दर में भी आई गिरावट:
रिपोर्ट में कहा गया है कि “पिछले 15 वर्षों में भारत में श्रम बल भागीदारी दर में गिरावट आई है।
श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी दर पुरुषों की तुलना में “काफी कम” है, इसमें कहा गया है, “भारत में सभी कामकाजी उम्र की महिलाओं में से केवल 20% रोजगार में हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह कम आंकड़ा महिलाओं के मुख्य रूप से ऐसे काम पर लगे होने के कारण हो सकता है, जो औपचारिक रोजगार के आर्थिक उपायों के हिसाब से नहीं है।
गोल्डमैन साक्स ने कहा कि शुद्ध निर्यात भी भारत की वृद्धि की राह में एक बाधा रहा है, क्योंकि भारत चालू खाता घाटे से चलता है।
उच्च उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से विकास में होगी तेजी:
उच्च उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से विकास में तेजी आ सकती है। भारत ने इंटरनेट और मोबाइल इंटरनेट की व्यापक पहुंच के माध्यम से अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण के मामले में एक बड़ी छलांग लगाई है।
इसके साथ ही आपके पास विशिष्ट पहचान संख्या, जिसे ‘आधार’ कहा जाता है, दुनिया की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक आईडी प्रणाली है।
जिसके द्वारा अब आप 1.4 अरब आबादी की पहचान को ऑनलाइन और भौतिक रूप से सत्यापित करने में सक्षम हैं।
इसलिए यह सार्वजनिक सेवा वितरण को अधिक आसान और अधिक लक्षित बनाता है।
इससे क्रेडिट नेट का विस्तार होता है, छोटे व्यवसायों को अधिक क्रेडिट मिलता है। वहीं यह उत्पादकता में वृद्धि से वृद्धि को बढ़ावा दे सकता है।
हरित ऊर्जा और ऊर्जा परिवर्तन भारत के लिए एक अवसर:
भारत ने घोषणा की है कि उसका लक्ष्य 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुंचना है और 2030 तक 50% बिजली उत्पादन क्षमता गैर-जीवाश्म स्रोतों से होगी।
ऐसे में सरकार भी ईवी और 2030 तक हरित हाइड्रोजन ऊर्जा क्षमता पर भी जोर दे रही है और 500GW नवीकरणीय या स्वच्छ का लक्ष्य रख रही है।
अंततः हरित ऊर्जा में परिवर्तन एक बड़ा निवेश अवसर है, लेकिन इसमें समय लगेगा। अंतरिम रूप से जब तक भारत हरित ऊर्जा में परिवर्तित नहीं हो जाता, तब तक ऊर्जा जरूरतों में जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी बहुसंख्यक रहेगी।