जोशीमठ में अनियंत्रित विकास के कारण प्राकृतिक जल स्रोत और बरसाती नाले अवरुद्ध।
सूत्रों के मुताबित, कई वैज्ञानिक संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट में प्रमुखता से इसका जिक्र किया है।
चारधाम यात्रा रूट होने से यहां अनियंत्रित ढंग से बड़े निर्माण खड़े किए गए हैं, जिससे जल निकासी के रास्तों से छेड़छाड़ और ड्रेनेज सिस्टम का न होना तबाही का कारण बना है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुड़की ने जोशीमठ में हो रही जल निकासी के संकेतकों के साथ तबाही के पीछे के कारणों की खोज की है।
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इसके बाद, जब एक जनवरी 2023 को जेपी कॉलोनी में फूटे जलस्रोत ने सबको चौंका दिया, तो यह समस्या और भी गंभीर बन गई।
इस घटना के बाद यह स्पष्ट हो गया कि जल निकासी के रास्तों के संरक्षण की जरूरत है और इसके बिना जोशीमठ में तबाही का खतरा है।
इस क्षेत्र में नाला बनने की संभावना नहीं के बराबर है। जो भी ऊपर से पानी आया, वह जमीन के अंदर प्रवेश कर गया और स्प्रिंग (स्रोत) के रूप में जेपी कॉलोनी के आसपास या नदी में बाहर निकला।
एनआईएच की रिपोर्ट कहती है कि सर्वे ऑफ इंडिया के पुराने मानचित्र में जेपी कॉलोनी के आसपास छह प्राकृतिक जलस्रोत दर्शाए गए हैं, जबकि संस्थान ने अध्ययन में यहां 16 जलस्रोतों की पहचान की है।
इस समस्या का समाधान निगरानी और नियंत्रण में है। एनआईएच की रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र का विकास नियंत्रित और मानकों के अनुरूप होना चाहिए, और इसके लिए सेटेलाइट या रिमोट सेंसिंग में उपलब्ध तकनीक के माध्यम से निगरानी की जरूरत है।
भूगर्भशास्त्री डॉ. एके बियानी ने कहा है कि इस समस्या का समाधान और अन्य क्षेत्रों में भी अध्ययन की आवश्यकता है, और विस्तृत अध्ययन के बाद ही सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुड़की की रिपोर्ट में इस खतरनाक स्थिति का उल्लेख किया गया है कि जोशीमठ में हो रहे जलस्रोतों के खोदे जाने के बिना, जल निकासी के रास्तों से छेड़छाड़ और ड्रेनेज सिस्टम का न होना तबाही का कारण बनता है।
इस घटना से साफ है कि जलस्रोतों का महत्व है, और इन्हें संरक्षित रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।