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श्री प्रेम सुख धाम में जैन स्थानकवासी संघ के लोकमान्य जैन संत गुरुदेव श्री अनुपम मुनि जी महाराज पर्यूषण पर्व पर पर्वचन करते हुए .

श्रीमद्भागवत अंत कृत दशांग सूत्रा की वाचनी की उन्होंने आगे बताया विवाह करने का भी एक समय होता है समय के अनुसार अपने बच्चों का विवाह करना चाहिए देश में विवाह करने से परिवार की व्यवस्थाएं टूटती हैं परिवार को सुचारू रूप से अच्छी प्रकार से चलाने के लिए हमें समय पर अपने बच्चों का विवाह करना चाहिए विवाह के लिए अपने बच्चे बच्चियों को योग्य बनाना चाहिए अपने परिवार को कैसे चलाएं कैसे आगे बढ़ाना है कैसे परिवार की बढ़ोतरी होगी व्यापार बिजनेस परिवार को संचालित करने का हुनर बच्चों को जरूर सिखाना चाहिए।

अंत कृत दशम सूत्र के अनुसार भगवान महावीर के कथनों को से पता लगता है कि बच्चों का विवाह करने की उम्र 25 साल की होती है 20 से लेकर 25 साल के बीच में बच्चों का विवाह करना चाहिए और बच्चों को भी से लेकर के 25 साल के बीच में ग्रस्त धर्म को या ग्रस्त परिवार को चलाने के गुण लक्षण ज्ञान सिखाना चाहिए ताकि जिससे बच्चे परिवार को अच्छी प्रकार से भली प्रकार से चला सके कई लोग तो इनमें ऐसे भी होते हैं।

दहेज के चक्कर में अपने बच्चों का विवाह रोक देते हैं जिसकी वजह से बच्चों की उम्र बीत जाती हैं और बाद में उनका विवाह नहीं होता बच्चे परेशान होते हैं परिवार के मां बाप भी परेशान होते हैं और ए समय विवाह नहीं हो पाता फिर बच्चों के विवाह के लिए समझौता करना पड़ता है या तो लड़कियों को गरीब परिवारों से खरीद के लाया जाता है और वह बच्चे परिवार में अर्जेस्ट नहीं हो पाती फिर वह परिवार में दिक्कत आती हैं।

ऐसे न जाए परिवारों से रिश्तेदार या जोड़ने से परिवार में खुशहाली नहीं आ पाती इसीलिए हमें अपने बच्चे को विवाह योग्य बनाकर 20 से 25 साल की उम्र तक उनका विवाह करना चाहिए मनुस्मृति ग्रंथ में भी यही कहा हैश्री प्रेम सुख धाम में जैन स्थानकवासी संघ के लोकमान्य जैन संत गुरुदेव श्री अनुपम मणि जी महाराज ने चतुर्थ दिवसीय पर्यूषण पर्व की बधाई देते हुए।

कि बच्चों की विवाह की जो उम्र है 25 साल की होनी चाहिए और 25 साल की उम्र में उनका विवाह कर देना चाहिए पर भारतीय ग्रंथों में सभी ग्रंथों में 25 साल की उम्र में विवाह योग्य सही ठहराया है जैन ग्रंथों में भी अपने बच्चे बच्चियों को 72 एवं 64 कलाएं से खाने के बाद 25 साल की उम्र में अपने बच्चों का विवाह करना चाहिए ऐसा विधान ऐसा उपदेश तीर्थंकरों की कथाओं में मिलता है वर्तमान के परिपेक्ष में देखते हैं तो पता लगता है की विवाह की व्यवस्थाएं बिगड़ती रही हैं कुछ दहेज के चक्कर में दहेज के लालच में बच्चे विवाह से रुक रहे हैं।

श्री प्रेम सुख धाम में जैन स्थानकवासी संघ के लोकमान्य जैन संत गुरुदेव श्री अनुपम मणि जी महाराज ने चतुर्थ दिवसीय पर्यूषण पर्व की बधाई देते हुए और कुछ बच्चे पढ़े लिखे नहीं हैं कुछ काम धंधा नहीं है और कुछ का विवाह करने का भाव ही नहीं है इन कारणों से विवाह की व्यवस्था बिगड़ रही है और कुछ लड़कियों की कमी के कारण यानी कि 1000 लड़कों के बीच में 700 सौलड़कियां हैं लड़के और लड़कियां भी बराबर नहीं है जिसकी वजह से भी रिश्ते नहीं हो पाते इस वजह से भी बच्चे और बच्चियों की शादियां नहीं हो पाती ऐसी हजारों हजारों कारण हैं जिसकी जिसकी वजह से बच्चे विवाह नहीं कर पाते हैं।

उन सभी कारणों का निदान करते हुए 17 ग्रस्त को अपने बच्चों को संस्कारित कर समय पर विवाह कर गृहस्ती वसा देनी चाहिए ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो जीवन सुंदर हो श्रेष्ठ हो सभी के लिए आदर्श हो अंत में गुरुदेव श्री राजेश मुनि जी महाराज ने सभी श्रोता जनों को मंगल पाठ सुना कर आशीर्वाद दिया।

आज के कार्यक्रम में वैभव जैन परिवार की ओर से लड्डुओं का प्रसाद वितरित किया गया प्रेमसुख धाम के महामंत्री संदीप जैन ने सभी श्रोता जनों का प्रसाद देने वालों का शब्दों से बहू मान के किया।

आज के पावन प्रसंग में प्रेमसुख पा प्रांगण में वर्धमान श्रावक संघ प्रेमसुख धाम के सभी श्रोता जनों ने मिलकर प्रधान मदन लाल जैन का एवं प्रदीप जैन का सम्मान किया।

 

 

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