पुडुचेरी (एजेंसी)। पुडुचेरी की सरकार गिरने के बाद कम से कम दक्षिण भारत में तो मोदी का ‘कांग्रेस मुक्त भारत का नारा साकार हो चुका है। पुडुचेरी में भाजपा तेजी से पांव पसारने लगी है। भाजपा जहां एक ओर कांग्रेस से आए सभी विधायकों को टिकट दे रही है, वहीं वह कभी कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे एन रंगास्वामी की एनआर कांग्रेस के नेतृत्व में चुनाव लडऩे को भी तैयार हो गई है। इतना ही नहीं, भाजपा पुडुचेरी की सीमा से लगे तमिलनाडु के इलाकों में भी दमखम से चुनाव लड़ रही है। मोदी-शाह लगातार रैलियां कर रहे हैं। भाजपा की तैयारी और रणनीति को देखकर कहा जा सकता है कि वह तमिलनाडु की राजनीति में घुसने के लिए पुडुचेरी को अपना गेटवे बना रही है।
भाजपा गठबंधन का इरादा कांग्रेस से आए नम: शिवाय को बतौर मुख्यमंत्री चेहरा पेश करने का था। इससे नाराज एनआर कांग्रेस के संस्थापक रंगासामी गठबंधन के लिए राजी नहीं थे, लेकिन अब भाजपा रंगासामी के नेतृत्व में लडऩे को तैयार हो गई है। यहां की 30 में से 16 पर एनआर कांग्रेस और 14 सीटों पर एनडीए चुनाव लड़ेगी। भाजपा का इरादा सहयोगी दल अन्नाद्रमुक को 14 में से सिर्फ 5-6 सीट देने का है। इसके रणनीतिक मायने देखें तो यह साफ है कि अन्नाद्रमुक इस बार अपनी पूरी ताकत सिर्फ तमिलनाडु में लगाएगी, पुडुचेरी को उसने भाजपा के लिए छोड़ दिया है। भाजपा के दल-बदलुओं की शरणगाह बनने के आरोप पर भाजपा प्रभारी निर्मल कुमार सुराणा कहते हैं, पहले विकल्प नहीं था। अब विकल्प है तो सब भाजपा में आ रहे हैं।
नए गठबंधन के वोट कांग्रेस से ज्यादा
2016 में कांग्रेस-डीएमके गठबंधन ने 39′ वोट के साथ 17 सीटें जीती थीं। तब 21 सीटों पर लडऩे वाली कांग्रेस इस बार 15 पर ही लड़ रही है। वहीं 2016 में अकेले लड़ी रंगासामी की एनआर कांग्रेस को 28, अन्नाद्रमुक को 17 और भाजपा को 2.5′ वोट मिले थे। तीनों गठबंधन दलों के वोटों का प्रतिशत (48′) जोड़ें तो यह कांग्रेस-डीएमके गठबंधन से करीब 9′ ज्यादा है। औसतन 30 हजार मतदाता वाली विधानसभाओं में 9′ की यह बढ़त निर्णायक है।
भाजपा की सत्ता में भागीदारी तय
नारायण सामी के प्रति एंटी इनकंबेंसी दूर करने में राहुल गांधी के पुश-अप फिलहाल तो बेअसर ही नजर आ रहे हैं। अनुमान है कि कभी 92’ मतों से जीतने का रिकॉर्ड बनाने एन. रंगासामी को 13-14 तो भाजपा गठबंधन को कम से कम 8 सीटें मिल सकती हैं। इसके अलावा केंद्र द्वारा मनोनीत 3 सदस्य भाजपा के खाते में अतिरिक्त होंगे। जबकि सरकार बनाने के लिए जरूरत सिर्फ 15 की है। पुडुचेरी भाजपा प्रभारी केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल कहते भी हैं, देखते जाइए पुडुचेरी तो बस शुरूआत है।
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कांग्रेस की आपदा में भाजपा को अवसर
शुरू में जैसे ही 4 कांग्रेसी विधायकों के दल बदल से सरकार गिरना लगभग तय हो गया तो रणनीति के तहत तत्काल राज्यपाल किरण बेदी को हटा दिया गया। ताकि सरकार गिरने का ठीकरा केंद्र पर न फूटे। यही नहीं, तमिल जनता को रिझाने के लिए, तमिल मूल की तमिलसाई सुंदरराजन को राज्यपाल का प्रभार देना भी इसी रणनीति का दूसरा हिस्सा था। अब कांग्रेस-डीएमके के छोड़कर आए सभी विधायकों को भाजपा प्रत्याशी बना रही है। यही नहीं ‘भारत माता की जयÓ और ‘वंदे मातरमÓ के लगातार नारों के बीच दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल करने का समारोह भाजपा मुख्यालय का स्थाई दृश्य बन चुका है।
सिर्फ 4 जिले उसमें से एक 850 तो दूसरा 650 किलोमीटर दूर
पुडुचेरी राज्य में सिर्फ 4 जिले हैं। इसमें से भी एक जिला और विधानसभा क्षेत्र ‘माहेÓ यहां से 650 किलोमीटर दूर केरल समुद्र तट पर है। तो दूसरा ‘यानमÓ 850 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश में है। दरअसल पुडुचेरी सहित ये इलाके फ्रेंड्स कॉलोनी का हिस्सा थे। 1954 में ये भारत में विलय के बाद पुडुचेरी का हिस्सा हो गए। यहां मतदाताओं की संख्या किसी बड़े शहर के वार्ड से भी कम है। सबसे छोटी विधानसभा में 24 तो सबसे बड़ी में 42 हजार मतदाता ही हैं।