उत्तराखण्ड

हल्द्वानी में 15 साल सड़क बेहाल, जनता लगा रही गुहार और नेताओं व विभाग का पल्ला झाड़:

ऐसा ही क्षेत्र है लालकुआ विधानसभा का हल्दुचौड़ दौलिया जहां बबूर गुमटी से लेकर देवरामपुर सागर स्टोन क्रेशर तक की सड़क आज नहर से भी अधिक बुरी स्थिति में है।

यह सड़क लालकुआं के एजुकेशन हब को जोड़ने वाली एकमात्र लिंक रोड है जिसमे सागर, पाल आदि स्टोन क्रेशर व गोला की गाड़ियां आते जाते रहती है साथ ही इस रोड पर लगभग 22 ऑगनबाडिया, 13 विद्यालय व लालकुआं का एकमात्र महाविद्यालय लाल बहादुर शास्त्री राजकीय महाविद्यालय हल्दूचौड़ भी स्थित है।

गौरतलब यह है कि जब स्कूल का समय होता है तो इस रोड पर लगभग 4000 से 5000 छात्रों का आना जाना लगा रहता है व 8 फिट की सड़क पर बड़े बड़े हाइवा चलने के कारण स्कूल व अन्य समय पर ग्राम वासी हादसों का शिकार होते रहते है।

अतः इस सड़क पर बड़े वाहनों की आवाजाही बन्द करने हेतु व वैकल्पिक मार्ग से डाइवर्ट जाने हेतु आदेशित करने का निवेदन क्षेत्रवासी विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय सड़क मंत्री सभी से कर चुके है।

इस समय वर्तमान में इस सड़क की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है की सड़क में गड्ढे नहीं गड्ढों में ही सड़क है।

दयनीय बात तो यह है कि समाजसेवी पीयूष जोशी द्वारा पूर्व में मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल पर शिकायत कर 2018 में पूरी रोड के निर्माण हेतु लोक निर्माण विभाग से पत्राचार कर 251 लाख की डीपीआर तैयार करवाई गई पर सड़क नहीं बन पाई।

हाल ही में जब पुनः समाजसेवी द्वारा पहल की गई वह इस सड़क की अनुमानित लागत पुनः आगणन कर शासन को भेजी गई तो 548 लाख की लागत की डीपीआर शासन को भेजी गई ।

ऐसे में 10 सालों में जो जनता को परेशानियां हुई वह तो अलग उसके विपरीत रेट में दुगना इजाफा हुआ।

इस मामले मे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अपर सचिव भी संज्ञान लेते हुए प्रमुख अभियन्ता लोक निर्माण विभाग को व्यापक जन उपयोगिता/आवश्यकता की दृष्टि से परीक्षण कर समुचित कार्यवाही करने अथवा स्पष्ट मंतव्य के साथ प्रस्ताव सक्षम स्तर को प्रेषित किये जाने के आदेश कर चुके है।

अब देखना यह होगा कि क्या मुख्यमंत्री के आदेश के बाद वह सड़क बन पाती है व स्कूली सड़क पर बड़े वाहनों पर प्रतिबंध लगाने यह जो मांग लगातार ग्रामीण कर रहे हैं वह पूरी हो पाती है या फिर 1 साल बेमिसाल के नारे केवल सोशल मीडिया पर ही चर्चा का विषय बने रहेंगे।

2018 में तत्कालीन समाधान पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने व विभाग से पत्राचार के बाद 251 लाख की डीपीआर बनवा कर शाशन को भेजी बजट के अभाव में प्रस्ताव निरस्त कर दिया गया।

सड़क नही बनी तो पुनः 2021 में सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करने के बाद पुनः विभाग द्वारा उक्त मार्ग वार्षिक अनुरक्षण मद के लिए प्रस्तावित किया गया परंतु फिर भी निर्माण नहीं हुआ।

नवंबर 2022 में राज्य सेवा के अधिकार व सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने के बाद पेंच-मरम्मत का आश्वासन लोक निर्माण विभाग के द्वारा दिया गया परंतु सड़क के गद्दों की स्थिति यतावत बनी रही।

दिसंबर 2022 में मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री राष्ट्रपति केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री को पत्र लिख सड़क निर्माण की मांग समाजसेवी द्वारा की गई।

जिस क्रम में लोक निर्माण विभाग द्वारा पुनः 548 लाख का प्रस्ताव विशेष सहायता योजना के अंतर्गत शासन को भेजा गया, जिसपर निर्माण शेष है।लगातार इस सड़क को बनवाने हेतु 2013 से पत्राचार जारी है ।

परंतु ना तो विभाग सुन रहा है ना शासन ना प्रशासन।2018 में शिकायत कर जो डीपीआर बनवाई थी उस सड़क की लागत 251 लाख थी।

आज बढ़कर 548 लाख हो गई है।

फिर भी सड़क का निर्माण कार्य शुरू नहीं करवाया जा रहा है।

ऐसा चलता रहा तो जनता की समस्याओं के साथ-साथ सड़क पर दुर्घटनाएं भी बढ़ते रहेंगे ।मुख्यमंत्री कार्यालय से संज्ञान तो लिया गया है परंतु सड़क के गड्ढे भरने अभी भी शेष हैं।

उत्तराखंड सेवा का अधिकार अधिनियम में स्पष्ट लिखा है कि सड़क पर गड्ढे होने की सूचना के 48 घंटों के अंदर सड़क के गड्ढे विभाग को भरने होते हैं ।

परंतु दुर्भाग्य का विषय यह है कि बार-बार विभाग को सूचित करने के बाद भी सड़क के गड्ढे लगभग 15 वर्षों से वैसे के वैसे हैं।

बेशर्मी तो यह है कि जब शिकायत की जाती है तो विभाग स्वयं यह लिखकर भेज रहा है कि 8 वर्षों से सड़क पर कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया।

जबकि क्षेत्रवासी लगातार शिकायत कर रहे हैं कि गड्ढे भर दिया जाए ।सड़क के गड्ढे तत्काल भरे जाएं क्योंकि सड़क किनारे व्यापार करने में बहुत दिक्कत होती है।

Related Articles

Back to top button