2030 तक अमर हो जाएंगे इंसान ! : अमरता यानी कभी न मरने का सपना इंसानों की सोच में कई हजार सालों से बसा हुआ है। कभी इसे कहानियों में अमृत के रूप में देखा गया, तो कभी साइंस फिक्शन फिल्मों में दिखाया गया कि इंसान टेक्नोलॉजी मदद से मौत को मात दे सकता है। अब तक सिर्फ कल्पना में ही सच लगने वाला यह सिद्धांत जल्द हकीकत बन सकता है। दरअसल तेजी से बढ़ती टेक्नोलॉजी जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जेनेटिक इंजीनियरिंग और नैनोटेक्नोलॉजी इंसान को बहुत ही जल्द अमर बना देंगी।
मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह कहना है मशहूर भविष्यवक्ता या भविष्य वैज्ञानिक और गूगल के पूर्व इंजीनियर रे कुर्जवील का। कुर्जवील ने हाल ही में दावा किया है कि इंसान 2030 तक अमर हो सकते हैं। उनके इस बयान ने दुनिया भर में एक बार फिर अमरता को लेकर चर्चा छेड़ दी है। इसके पीछे उन्होंने किसी चमत्कार नहीं बल्कि टेक्नोलॉजी को ही आधार बताया है। चलिए जानते हैं कुर्जवील के दावों के पीछे कितना दम है?
रे कुर्जवील का कहना है कि आने वाले सालों में न सिर्फ इंसानों का शरीर बदलेगा, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कि AI भी एक नए दौर में पहुंच जाएगा। उनके अनुसार, साल 2029 तक मशीनें इंसानों जैसी बुद्धि हासिल कर लेंगी और ट्यूरिंग टेस्ट पास कर सकेंगी। ट्यूरिंग टेस्ट का मतलब है कि मशीनें इंसानों जैसा व्यवहार करने लगेंगी जिसमें फर्क करना मुश्किल हो जाएगा। उनका दावा है कि भविष्य में इंसान और AI सिर्फ साथ-साथ काम नहीं करेंगे बल्कि वह एक ही हो जाएंगे। जब इंसानी दिमाग और AI का मेल होगा, तब हमारी याददाश्त, सोचने की क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति हमारी सोच से भी कहीं आगे बढ़ जाएगी।
प्रसिद्ध भविष्य वैज्ञानिक रे कुर्जवील का कहना है कि 2030 तक इंसान जैविक रूप से अमर हो सकते हैं। यह बात सुनने में भले विश्वास के लायक न लगे, लेकिन इसके पीछे मजबूत वैज्ञानिक आधार हैं। कुर्जवील के मुताबिक, भविष्य की चिकित्सा प्रणाली में नन्हें रोबोट्स यानी नैनोबोट्स का अहम रोल होगा। ये नन्हें-नन्हें रोबोट हमारे शरीर की नसों में घूमते रहेंगे और शरीर के अंदर से हेल्थ की निगरानी करेंगे। उसका काम टूटी हुई कोशिकाओं की मरम्मत करना और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को उल्टा करना होगा। अगर यह तकनीक सच साबित होती है, तो न सिर्फ बीमारियों को पहले ही ठीक किया जा सकेगा, बल्कि बुढ़ापे को भी रोक दिया जाएगा

