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इन्फ्लूएंजा मिनी कोरोना कहे जा रहे हांगकांग इन्फ्लूएंजा ने कानपुर में मचा दिया हाहाकार:

26 मरीजों को भर्ती किया गया जिसमें नौ को न्यूमोनाइटिस डायग्नोस हुआ है। इस बीच बच्चों की भीड़ भी पहुंची।

इनमें 75 बुखार पीड़ित थे। दो को भर्ती करना पड़ा।

हैलट की मेडिसिन ओपीडी में प्रो. रिचा गिरि और डॉ.एमपी सिंह के चैंबर के बाहर मरीजों की कतारें लगी रहीं।

आलम यह था कि बीमारों को फर्श पर बैठकर बारी का इंतजार तक करना पड़ा। प्रो. गिरि की ओपीडी में यूं तो 340 मरीज पहुंचे तो 200 से ज्यादा सिर्फ इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण के रहे।

30 में बी-टू श्रेणी के लक्षण रहे क्योंकि सभी डायबिटीज के साथ कोमार्बिड थे।

बाकी मरीज ए और बीवन श्रेणी के रहे। इसलिए सभी को घर में ही इलाज कर आइसोलेट रहने की सलाह दी गई।

डॉ. सिंह की ओपीडी में 110 मरीज बुखार के डायग्नोस किए गए। मेडिसिन ओपीडी में 713 रोगी पहुंचे।

हैलट में डॉ. रूपा डालमिया की ओपीडी में भी 200 बीमार बच्चे पहुंचे

जिसमें 75 को फ्लू पाया गया। दो को पीआईसीयू में भर्ती किया गया है।

हैलट के साथ ही उर्सला में भी बीमारों की भीड़ रही। यहां भी इन्फ्लूएंजा लक्षण के 155 मरीज पहुंचे लेकिन सभी ए और बी वन श्रेणी के ही मरीज रहे।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की एचओडी उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरि के अनुसार होली की छुट्टी के बाद बुखार के मरीजों की भारी भीड़ ओपीडी में आई।

कुछ गंभीर को भर्ती किया गया है। बुखार फैल रहा है इसलिए सभी को मास्क के साथ घर में ही आइसोलेट होने की सलाह दी गई है। खांसी संग कमजोरी भी पाई गई है।

कोमार्बिड मरीजों को सांस फूलने के लक्षण मिले हैं।

उर्सला अस्पताल के सीएमएस डॉ. शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि बुखार के मरीजों की भीड़ आने लगी

है। सभी को डॉक्टरों ने दवाएं लिखकर अलग रहने की सलाह दी है।

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