यह सामान्यता आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा औषधियों के रूप में विशेषतः श्वास सम्बन्धी विकारों में दिया जाता है।
मोटापे के लिए:- एक गिलास पानी में एक चम्मच शहद मिला कर रोज सुबह पीना चाहिए।
भूख न लगना पर चुटकी भर कालीमिर्च के साथ दिन में 3-4 बार शहद के साथ चाटें।
खांसी होने पर चुटकी भर लौंग के साथ दिन में 2-4 बार शहद के साथ चाटें।
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धाव या जलने का धाव होने पर घी और मधु को मिला कर दें।
मसूड़ों से खून आना पर सौंठ कालीमिर्च, सेंधा नमक, मधु और घृत मिला कर दिन में दो बारम सूड़ों पर मलें।
सौदर्यवर्धक मधु को चेहरे पर रोज लगाने से त्वचा की कान्ति बढ़ जाती है।
ध्यान रखने वाली बात यह है कि कभी शहद को गर्म नहीं करना चाहिए।
अब बात करते है अनार के गुणों की
यह सभी के लिए पौष्टिक फल है, इसे भोजन के साथ या किसी बीमारी की हालत में लिया जा सकता है।
अपच होने पर 10 मि.ली. अनार का रस 1/2 ग्रा० काला नमक तथा जीरा चूर्ण का शहद अथवा बूरा के साथ भोजन से पूर्व मुख में रखें।
खुनी बवासीर के लिए 10 मि.ली. अनार के रस को बूरा या मिश्री के साथ दिन में 2 बार लें।
10 ग्राम सूखे छिलकों के चूर्ण का बराबर मात्रा में बूरा मिलाकर दिन में दो बार लें।
दस्त होने पर – 10 मि.ली. छिलकों के रस को दिन में 3 बार लें। (फल अधिक मात्रा में लें।)
अम्लता (एसिडिटी):-10 मि.ली. फलों का रस दिन में 2 बार लें। फल खाने से भी लाभ होता है।
मुंह से अगर बास आती है तो अनार के छिलकों को उबाल कर दिन में 3-4 बार कुल्ला/गरारें करें।
मुंहासे होने पर -अनार के बीज का लेप बनाकर मुंहासों पर लगाएं।