उन्हें महिला अधिकारिता और बाल विकास मंत्री रेखा आर्य के आदेश पर बुक किया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने योजना का लाभार्थी बनने के लिए दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने के आरोप में आईपीसी की धारा 420 समेत सभी आरोपियों पर विभिन्न प्रासंगिक धाराएं लगाई हैं।
पुलिस ने यह कार्रवाई डब्ल्यूईसीडी मंत्री द्वारा शुक्रवार को उन माता-पिता के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश जारी करने के बाद की, जिन्होंने पात्र लड़कियों के अधिकारों को छीनकर अपनी बेटियों के लिए लाभ पाने की कोशिश की।
योजनान्तर्गत वर्ष 2022-23 में हरिद्वार जिले में कुल 1328 आवेदन नवजात कन्याओं के तथा 4174 आवेदन 12वीं कक्षा उत्तीर्ण बालिकाओं के प्राप्त हुए।
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जिला प्रशासन की सत्यापन प्रक्रिया के दौरान यह सामने आया कि कुल 193 आवेदकों में से 1,328 आवेदकों में से 70 और 4,174 आवेदकों में से 123 ने आय प्रमाण पत्र के साथ छेड़छाड़ की है।
जो योजना का लाभार्थी होने के लिए अनिवार्य दस्तावेजों में से एक है।
आवेदकों के अलावा, आर्य ने विभाग को उन अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज करने का निर्देश दिया।
जो ऐसे आवेदकों को फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करने में कथित रूप से शामिल थे।
नंदा गौरा योजना के तहत पात्र माता-पिता को बालिका के जन्म के समय डब्ल्यूईसीडी विभाग से 11,000 रुपये मिलते हैं।
बाद में, बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने पर बालिका को 51,000 रुपये मिलते हैं।
आर्य ने कहा कि सरकार इस योजना के तहत इस तरह के लाभ प्रदान करती है ताकि वंचित परिवारों की लड़कियों को सहायता मिल सके लेकिन लाभार्थी होने के लिए कुछ माता-पिता द्वारा इस तरह की धोखाधड़ी शर्मनाक है और अधिकारियों के साथ कथित रूप से शामिल होने के परिणाम भुगतने होंगे।