उत्तराखण्ड

“सरकार की नयी दिशा: केंद्र पोषित योजनाओं का प्राथमिकता में फोकस” मुख्यमंत्री

केंद्र पोषित योजनाओं के लिए सरकार की नई रणनीति: राज्य योजनाओं में बदलाव की ओर। ।

सरकार ने बड़ी परियोजनाओं के विकास के लिए नई दिशा तय की है, जिसका मुख्य उद्देश्य केंद्र पोषित योजनाओं की प्राथमिकता को बढ़ाना है।

इस नए दौर में, सरकार ने केंद्र और राज्य स्तर पर पोषित योजनाओं के प्रस्ताव बनाने के लिए एक नई रणनीति का आलंब दिखाया है।

वाह्य सहायतित परियोजनाओं के लिए निर्धारित धनराशि के बाद, राज्य सरकारों को अब इस दिशा में कदम उठाने का अंदेशा है।

केंद्र पोषित और राज्य पोषित योजनाओं के प्रस्तावों के लिए पूंजी निवेश का रोडमैप तैयार किया जा रहा है, जो अगले पांच से 10 साल के दौरान क्रियान्वित होगा।

विभागों ने बेहतर रिटर्न देने वाले प्रस्तावों के लिए 100 करोड़ से अधिक की पूंजी निवेश के प्रस्ताव तैयार किए हैं, जिन्हें तीन दिनों में मांगा गया है।

अपर मुख्य सचिव (वित्त) आनंद बर्द्धन ने सभी विभागों को इस नई रणनीति के संदर्भ में पत्र लिखकर उन्हें उसकी महत्वपूर्णता और लाभों के बारे में जागरूक किया है।

पत्र में बताया गया है कि वाह्य सहायतित परियोजनाओं के लिए निश्चित धनराशि की सीमा तय की गई है, जिससे केंद्र और राज्य सरकारें अब उन परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं जो उनकी प्राथमिकता है।

हालांकि कुछ परियोजनाएं अभी भी वाह्य सहायतित सीमा के बाहर हैं, लेकिन उनके विकास के लिए पर्याप्त धनराशि की आवश्यकता है।

इस संदर्भ में, राज्य सरकारों को केंद्र पोषित और राज्य पोषित योजनाओं की रणनीति तैयार करने का आदान-प्रदान करने की आवश्यकता है।

पत्र में उन्हें यह भी सुनिश्चित करने का आदान-प्रदान किया गया है कि ऐसे प्रस्ताव भी संविभागीय तरीके से तैयार किए जा सकते हैं, जिनकी डीपीआर तैयार है, लेकिन उनके लिए अभी तक धनराशि निर्धारित नहीं हुई है।

पूंजीगत निवेश के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा निवेश करने के लिए भविष्य में उपलब्ध होने वाले ईएपी की धनराशि की सीमा को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है।

इस मामले में मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक की योजना है, जो इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करेगी।

इस नयी दिशा में सरकार का प्रयास है कि परियोजनाओं के विकास में अधिक समान्वय और विशेषगति हो, जो देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

यह स्थायी रणनीति तय करने का प्रयास है जो न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि राज्यों के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को भी गति देगा।

इस समर्थन में, राज्य सरकारों को वाह्य सहायतित परियोजनाओं के साथ ही केंद्र पोषित योजनाओं का भी ध्यान देने के लिए प्रेरित किया गया है।

इसके माध्यम से, हम स्थायी और सामर्थन पूर्वक देश की प्रगति की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं, और आने वाले दशकों में विकास के नए मील के पत्थर पर चल सकते हैं।

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