झारखंड में मॉनसून दस्तक देने की तैयारी में है. कुछ ही दिनों में मॉनसून राज्य में प्रवेश करेगा. एक ओर लोग गर्मी से निजात पाने के लिए मॉनसून की राह देख रहे हैं, वहीं किसान भी खेती बारी को लेकर बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे हैं. कुछ किसान मॉनसून काे देखते हुए खेतीबारी को लेकर तैयार हैं.
हालांकि जिन किसानों ने पारंपरिक तरीके से खेती करना छोड़ आधुनिक पद्धति से खेती करने का तरीका अपनाया था, उनकी परेशानी अब बढ़ गयी है. खाद-बीज के दाम के साथ डीजल के दाम भी बढ़ गये हैं. ऐसे में उनके लिए खेती करना महंगा साबित हो रहा है.
अब ट्रैक्टर से जुताई कर खेती करना उनके लिए सस्ता नहीं पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि डीजल का दाम बढ़ जाने से ट्रैक्टर मालिकों ने खेत जुताई का रेट बढ़ा दिया है.
वर्तमान समय में एक घंटा जुताई करने के एवज में ट्रैक्टर मालिक द्वारा 900 रुपया लिया जा रहा है. वहीं जिन किसानों का अपना ट्रैक्टर है, उन्हें भी महंगा पड़ रहा है. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि खेतीबारी कैसे करें. वहीं कई किसान ऐसे हैं, जो अब भी पारंपरिक तरीके से हल-बैल से खेती करते हैं.
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हालांकि हल-बैल से खेती करने वालों की संख्या कम है. इनकी भी अलग परेशानी है. बैलों के दाम बढ़ गये हैं. बाजार में 25 से 30 हजार रुपये तक में एक जोड़ा बैल मिल रहा है. इतने महंगे दाम में किसान बैलों को खरीद पाने मेंं सक्षम नहीं हैं.
इन दोनों परिस्थितियों में किसान काफी परेशान नजर आ रहे हैं. एक तो ट्रैक्टर से जुताई करना उनके लिये महंगा साबित हो रहा है, वहीं बैल खरीद पाने में वे समक्ष नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में खेती बारी को लेकर किसान चिंतित नजर आ रहे हैं. फिलहाल किसान खेतों में टमाटर, भिंडी, करैला, धनिया, मिर्च और मकई लगा रहे हैं.