जिसके पास एक दो वाहन हैं वह वाहन मालिक नदी न खुलने से परेशान हैं।
कर्जदार वाहन मालिक चाहते हैं जल्द से जल्द नदी खुले जिससे वाहन की किस्त जमा हो सके।
मजदूर भी चाहते हैं कि नदी जल्द खुले लेकिन नदी का मामला सुलझने की जगह उलझता ही जा रहा है जिससे बाजार में भी मंदी छाई है।
साप्ताहिक बाजार भी सुनसान नजर आते हैं जो कभी मजदूरों से भरे रहते थे।
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हजारों मजदूर जिस नदी में खनन करते थे वहां सन्नाटा पसरा है।
गरीब मजदूर छोटे वाहन मालिक नदी जल्द खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।