उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के जल शक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक अपने इस्तीफे की वजह से काफी चर्चा में हैं। बुधवार को उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नाम एक पत्र लिखकर अपना इस्तीफा दे दिया। जिसमें उन्होंने अपने मंत्रालय में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए कहा कि दलित होने के चलते उनके विभाग के अधिकारी उनकी अनदेखी कर रहे हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने राजभवन के सूत्रों के हवाले से बताया है कि खटीक के इस्तीफे पर बुधवार रात तक सरकार की तरफ से कोई पुष्टि नहीं हुई।
भाजपा के लिए अहम हैं दिनेश खटीक:
बता दें कि मेरठ के हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे 45 साल के दिनेश खटीक पश्चिमी यूपी में भाजपा के प्रमुख दलित नेताओं में से एक हैं। वह उन आठ दलित चेहरों में से एक हैं जिन्हें योगी आदित्यनाथ ने इसी साल मार्च में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने मंत्रालय में जगह दी थी। ऐसे में भाजपा के लिए भी उनकी अहमियत काफी है।
दिनेश खटीक की तीन पीढ़ियां आरएसएस से जुड़ी रही हैं। उनके पिता और दादा भी संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। वह 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा के टिकट पर हस्तिनापुर से विधायक चुने गए। बाद में उन्होंने स्थानीय मुद्दों को उठाकर और अपने क्षेत्र के लिए विभिन्न परियोजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं के जरिए मेरठ की राजनीति में अपनी जगह बनाई।
इसका असर उनके राजनीतिक ग्राफ पर भी पड़ा और उन्हें योगी सरकार में जल शक्ति विभाग दिया गया। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में भी उन्हें जल शक्ति एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया था। बताया जा रहा है कि खटीक पिछले कुछ महीनों से योगी सरकार से नाराज चल रहे थे।
- Advertisement -
खटीक मेरठ बेल्ट में एक लोकप्रिय नेता हैं। यूपी में भाजपा उन्हें एक प्रमुख दलित चेहरे के रूप में तैयार करने कोशिश में है। 2017 और 2022 दोनों चुनावों में उन्होंने भाजपा के टिकट पर बसपा उम्मीदवार योगेश वर्मा को हराकर हस्तिनापुर सीट जीती थी।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि दिनेश खटीक योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में एक बड़ी भूमिका की उम्मीद कर रहे थे लेकिन ऐसा न हो पाने के पीछे उनके और जल शक्ति कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के बीच समन्वय की कमी माना जा रहा है।
खटीक ने इससे पहले सुरक्षा एस्कॉर्ट को वापस कर दिया था। दरअसल एक महीने पहले दिनेश खटीक बीजेपी समर्थक की तरफ से पुलिस वालों के खिलाफ केस दर्ज न होने के चलते नाराजगी में अपना इस्तीफा देने की बात कही थी। इस दौरान उन्होंने अपनी सुरक्षा की एस्कॉर्ट को भी वापस भेज दिया था। अपनी मांग मनवाने के लिए उनकी थानेदार से कहासुनी भी हुई थी।
दरअसल, चार जून 2022 को मेरठ के गंगानगर में भाजपा कार्यकर्ता टेंट व्यापारी कोमल कुमार के साथ सिपाही आकाश और विकास द्वारा मारपीट करने और लूटपाट करने का आरोप लगा था। इसकी तहरीर देने के बाद भी पुलिस ने सिपाहियों के खिलाफ एफआईआर नहीं लिखी। इसपर नाराज होकर राज्यमंत्री दिनेश खटीक रात में ही थाने पहुंच गये और मुकदमा दर्ज कराने पर अड़ गये। मंत्री और इंस्पेक्टर में नोकझोंक भी हुई थी।
मंत्री होते हुए भी बात न सुने जान पर खटीक ने क्षुब्ध होकर अपना इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। हालांकि डीएम और एसएसपी के बीच में पड़ने पर मामला शांत किया था। बाद में आरोपी सिपाहियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। लेकिन मामले में सिपाहियों ने टेंट व्यापारी पर एफआईआर दर्ज करवाई थी। इससे मंत्री दिनेश खटीक काफी नाराज हो गये थे। उन्हें शांत कराने के लिए तब उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और दूसरे मंत्री उनके घर पहुंचे थे।