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"देहरादून: शहरी विकास को बजट हुआ जारी, दूसरे विभागों के खर्च के बारे में बढ़ रहे सवाल"

Urban Health and Wellness Centre: Khichdi between budget and departments in Dehradun

शहरी विकास के क्षेत्र में एक बड़ी बजट की घोषणा, लेकिन इसके पीछे एक चुंबक की तरह जुड़े हैं विभागों के खर्च के सवाल।]
15वें वित्त आयोग से मिले बजट से प्रदेश में 84 अर्बन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाने की योजना थी, लेकिन इस प्रक्रिया में देरी के चलते इसे दूसरे विभागों के भरोसे रहना पड़ा।

जब इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई तो यह निर्णय लिया गया कि ये हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर नगर निकायों के स्तर पर बनाए जाएंगे, लेकिन इसके लिए उपयोगिता प्रमाणपत्र भेजने के बाद ही बजट की दूसरी किस्त आनी थी।

परंतु पहली किस्त के बाद काम की कोई खबर नहीं मिली और इसके बाद दूसरी किस्त का सवाल उठा।

दो साल तक कोई प्रक्रिया नहीं हुई और इस परियोजना को खत्म करने के लिए विभाग ने खुद ही 84 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों की स्थापना के लिए टेंडर जारी किया।

इसके बावजूद, कोई कंपनी इस निविदा के लिए नहीं आई, जिससे प्रोजेक्ट की दिशा में और भी देरी हो गई।

अगस्त में विभाग ने इस प्रोजेक्ट के लिए दोबारा टेंडर जारी किया, जिसमें करीब 19 निविदाकर्ता आए हैं।

अब विभाग टेंडर खोलने की प्रक्रिया चल रही है, और उन्होंने इस परियोजना को छह महीने के अंदर 50 प्रतिशत काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

इसके बाद ही दूसरी किस्त जारी की जाएगी, जो कि उपयोगिता प्रमाणपत्र भेजने के बाद होगी।

इस मामले में निदेशक शहरी विकास, नितिन सिंह भदौरिया ने बताया कि अभी भी वेलनेस सेंटर स्थापना की निविदा प्रक्रिया चल रही है और काम जल्द ही शुरू होगा।

यह स्थिति स्पष्ट रूप से दिखाती है कि शहरी विकास के क्षेत्र में बजट की घोषणा करने के बावजूद, विभागों के बीच के आंतरिक समस्याओं के कारण कामकाज में देरी हो रही है।

इसके तहत, लोगों को उनके स्वास्थ्य और वेलनेस की योजनाओं के प्रति चिंता हो रही है।

इस मामला  उन लोगों को भी प्रभावित कर रही है जो इन सेंटरों का इंतजार कर रहे हैं, जिन्हें शहरी विकास के विभिन्न प्रकल्पों से अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने की उम्मीद है।

इस समस्या ने विभागों के बीच की सहयोगीता की चुनौती भी प्रस्तुत की है, जिससे शहरी विकास परियोजनाओं के लिए अच्छे बजट का निर्णय लेने में मुश्किल हो रही है।

इस मामले में जब तक प्रक्रिया में सुधार नहीं किया जाता है, तब तक शहरी विकास के क्षेत्र में बजट के खर्च के संदर्भ में सवाल बने रहेंगे।

 

 

 

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