उत्तरप्रदेश
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संविधान,,सरकार और संविदा पर नौकरी,,यूपी में यूं ढह गया बीजेपी का किला...

BJP's disappointing performance, winning only 33 seats.

उत्तर प्रदेश : भाजपा ने निराशाजनक प्रदर्शन करते हुए सिर्फ 33 सीटों पर जीत हासिल की. इस बार के बाद बीजेपी में अंतर्कलह भी देखने को मिली है।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।

बीजेपी को सबसे बड़ा झटका यूपी में लगा, जहां 2019 में अकेले 62 सीटें वाली पार्टी महज 33 सीटों पर सिमट गई।

बीजेपी ने यूपी में मिली हार के बाद समीक्षा की है. इसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पेपर लीक समेत कुल मिलाकर 12 वजहें हैं, जिससे यूपी का किला ढहा है।

बीजेपी की तरफ से यूपी को लेकर जिस समीक्षा रिपोर्ट को तैयार किया गया, वो कुल मिलाकर 15 पेज की है. इसमें हार के 12 कारण बताए गए हैं।

शिकस्त की समीक्षा के लिए पार्टी की तरफ से 40 टीमों ने 78 लोकसभा सीटों पर जाकर जानकारी इकट्ठा की है. एक लोकसभा में करीब 500 कार्यकर्ताओं से बात की गई है।

रिपोर्ट तैयार करने के लिए करीब 40,000 कार्यकर्ताओं से बात की हुई है. अब इस रिपोर्ट को बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारी की बैठक में रखा जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक,,सभी क्षेत्रों में बीजेपी के वोटों में गिरावट देखने को मिली है. वोट शेयर में 8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।

इसमें बताया गया है कि ब्रज क्षेत्र, पश्चिमी यूपी, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, काशी, गोरखपुर क्षेत्र में 2019 के मुकाबले सीटें कम हुईं।

समाजवादी पार्टी को पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समाज के वोट मिले हैं. गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव एससी का वोट सपा के पक्ष में पड़ा है. रिपोर्ट में कहा गया कि संविधान संशोधन के बयानों ने पिछड़ी जाति को बीजेपी से दूर किया।

संविधान संशोधन को लेकर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी. विपक्ष का ‘आरक्षण हटा देंगे’ का नैरेटिव बना देना।

प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक का मुद्दा।

सरकारी विभागों में संविदा कर्मियों की भर्ती और आउटसोर्सिंग का मुद्दा।

बीजेपी के कार्यकर्ताओं में सरकारी अधिकारियों को लेकर असंतोष की भावना।

सरकारी अधिकारियों का बीजेपी कार्यकर्ताओं को सहयोग नहीं मिलना. निचले स्तर पर पार्टी का विरोध।

बीएलओ द्वारा बड़ी संख्या में मतदाता सूची से नाम हटाए गए।

टिकट वितरण में जल्दबाजी की गई जिसके कारण बीजेपी नेताओं व कार्यकर्ताओं का उत्साह कम हुआ।

राज्य सरकार के प्रति भी थाने और तहसीलों को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी।

ठाकुर मतदाता बीजेपी से दूर चले गए।

पिछड़ों में कुर्मी, कुशवाहा, शाक्य का भी झुकाव नहीं रहा।

अनुसूचित जातियों में पासी व वाल्मीकि मतदाता का झुकाव सपा-कांग्रेस की ओर चला गया।

बसपा के प्रत्याशियों ने मुस्लिम व अन्य के वोट नहीं काटे बल्कि जहां बीजेपी समर्थक वर्गों के प्रत्याशी उतारे गए वहां वोट काटने में सफल रहें।

बीजेपी से कोर से लेकर छोर तक के मतदाता दूर रहे, जिसकी वजह से यूपी में बीजेपी की हार तय हो गई।

कोर में ठाकुर जाति के लोग तो वहीं छोर में कुर्मी, कुशवाहा, शाक्य, पासी और वाल्मीकि समाज के लोग शामिल हैं।

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