उत्तराखंड : धामी सरकार एक और बड़ा फैसला लेने जा रही है. यह फैसला देश के लिए नजीर बनने वाला है. दरअसल, उत्तराखंड में अब समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने वाली है।
इसके लिए विशेषज्ञ समिति शुक्रवार को यूसीसी ड्राफ्ट मुख्यमंत्री को 11 बजे सौंपेगी. इसके बाद मुख्यमंत्री आगे की प्रक्रिया शुरू करेंगे.
समान नागरिक संहिता लागू करने के उद्देश्य से ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित कमेटी आज देहरादून में 11 बजे मसौदा सौंपेगी।
जिसकी समीक्षा करने के उपरांत हम आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक लाकर समान नागरिक संहिता को प्रदेश में लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
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आज का दिन हम सभी प्रदेशवासियों के लिए महत्वपूर्ण है, जब हम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के विज़न को साकार करते हुए और अधिक मज़बूती के साथ आगे बढ़ने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक,, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में समिति सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री को यह ड्राफ्ट सौंपेगी। इसे शनिवार तीन फरवरी को कैबिनेट के सम्मुख प्रस्तुत किया जाएगा।
इसके बाद इस ड्राफ्ट को पांच फरवरी से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में विधेयक के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
ड्राफ्ट में कानूनों को सख्त करने पर जोर दिया गया है। ड्राफ्ट में 400 से ज्यादा धाराओं का उल्लेख है। सरकार ने इसका ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।
20 माह में समिति अब इस कार्य को पूरा कर चुकी है। इस अवधि में समिति ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों व समुदायों के साथ 60 से अधिक बैठकों व ऑनलाइन माध्यम से सुझाव लिए।
समिति को 2.30 लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए हैं। अब समिति समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट हिंदी व अंग्रेजी भाषा में तैयार कर चुकी है।
लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य करने के साथ ही 18 से 21 वर्ष के युवाओं के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य की जा सकती है।
इसके अलावा सभी धर्मों के अनुयायियों को समान अधिकार, बहु विवाह पर रोक, तलाक, संपत्ति में महिलाओं का अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेना, स्थानीय व जनजातीय परंपराओं तथा रीति रिवाजों का अनुपालन व निजी स्वतंत्रता संबंधी बिंदुओं को प्रारूप में शामिल करते हुए कानून को सख्त करने पर जोर दिया गया है।
धामी सरकार ने साल 2022 में 27 मई को सामान नागरिक संहिता की संभावनाएं तलाश कर इसे तैयार करने के लिए और नागरिकों के सभी निजी मामलों से जुड़े कानूनों की जांच के लिए एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया था।
20 माह बाद ड्राफ्ट तैयार हुआ है. उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने पर सभी के लिए समान नियम और कानून होंगे. यूसीसी लागू होने पर फिर तलाक केवल कानूनी प्रक्रिया से ही होगा।
यानी कि तलाक के सारे धार्मिक तरीके अवैध होंगे. नए कानून के दायरे में तलाक-ए-हसन और तलाक-ए-अहसन भी आएंगे. बिना विवाह किए एक साथ रहने यानी कि लिव-इन रिलेशनशिप में बढ़ते अपराधों पर लगाम कसने के लिए यूसीसी में प्रावधान दिए गए हैं।
यूसीसी में बहुविवाह, हलाला और इद्दत पर भी रोक लगाने का प्रावधान है. लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु में भी बदलाव किए जाने की भी संभावना है।
इसे बढ़ाकर 21 साल की जा सकती है. सबके लिए शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा. विवाह के जैसे ही तलाक के लिए भी पति-पत्नी को सामान अधिकार होंगे।
चर्चा है कि यूसीसी में सभी धर्मों के लिए गोद लेने से जुड़े नियम और गोद लिए बच्चों को जैविक संतानों के सामान अधिकार की सिफारिश भी हो सकती है.