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"मुख्यमंत्री ई-रिक्शा योजना: 30 करोड़ की धांधली का पर्दाफाश"

"Rs 30 crore rigging of cooperative bank: Loans of CM e-rickshaw scheme disbursed in the name of benefiting UP-Delhi residents"

भारतीय राज्यों में सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए सरकारें विभिन्न योजनाएँ चलाती हैं, जिनके माध्यम से गरीबों और असहाय लोगों को सहायता प्राप्त करने का अवसर मिलता है।

मुख्यमंत्री ई-रिक्शा योजना भी ऐसी एक पहल है जिसका उद्देश्य गरीबी और बेरोजगारी को कम करने के साथ-साथ गरीब और असहाय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान था ।

हालांकि, हाल ही में हुई घोटाला ने इस योजना की मानवीय और नैतिक मूल्यों को सवालित किया है।

उत्तराखंड सहकारी बैंक के माध्यम से आयोजित मुख्यमंत्री ई-रिक्शा योजना के तहत गरीब और असहाय लोगों को ऋण प्रदान किया जा रहा था।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य था कि गरीब लोग ई-रिक्शा खरीदकर स्वयं का रोजगार शुरू कर सकें और अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सके।

इसके बावजूद, खुदाई में हुई धांधली के बाद सामने आई सबसे बड़ी सवालिती यह है कि क्या यह योजना वास्तव में अपने उद्देश्यों को पूरा करने का संकेत थी या फिर इसका उपयोग अन्यथा हुआ।

यह चौंकाने वाला है कि बैंक के परिसरों में लगाए गए कैमरों के बावजूद, धांधली की शिकायतें सामने आई हैं।

बैंक ने अपने आधार पर खूब ऋण बांटने के बावजूद उत्तराखंड के लोगों को कम, और यूपी, बिहार, दिल्ली, हरियाणा आदि के लोगों को अधिक ऋण प्रदान किया गया।

यह स्पष्ट रूप से योजना की मानवीय और सामाजिक न्यायपूर्णता को प्रश्नित करता है और इसे धांधली की दिशा में ले जाता है।

इस घोटाले के बाद सरकारी निर्देशन के तहत, निबंधक सहकारी समितियाँ धांधली की जांच कर रही हैं।

यह समितियाँ योजना के आवश्यकताओं और मानकों का पालन करती हैं या फिर उन्होंने उसे अपने हिसाब से बदल दिया।

जांच की प्रक्रिया में सहयोगी सरकारी विभागों को भी शामिल किया गया है ताकि सच्चाई सामने आ सके और आवश्यक कदम उठाए जा सकें।

घोटाले की प्रक्रिया सरकारी योजनाओं की प्रभावना और उनके व्यावसायिक अंतर्निहितता के बीच बड़ा गढ़बढ़ उत्तपन्न हो रहा है।

हमें यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि योजनाएँ अपने उद्देश्यों को पूरा करें और गरीबों के प्रति सरकारी नीतियों का पालन किया जाए।

साथ ही, जांच प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष माध्यमों की आवश्यकता है ताकि योजनाओं के अंतर्निहित दुष्प्रभावों को रोका जा सके।

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