उत्तराखण्ड

प्रधानमंत्री मुद्रा लोन दिलाने के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी, गिरोह का एसटीएफ की टीम ने किया भंडाफोड़:

एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि सूचना मिली थी कि सहस्रधारा मार्ग पर अमित विहार कॉलोनी के एक मकान में किराये पर रह रहे कुछ युवक व युवतियां प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के नाम पर लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं।

क्यूआर कोड को व्हाट्सएप के माध्यम से भेजकर लोगों से अपने खाते में प्रोसेसिंग फीस व इंश्योरेंस के नाम पर पैसे जमा करवाते हैं।

इस मामले की जांच की गई और रविवार को एसटीएफ की टीम ने मकान में छापा मारकर मौके से चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

आरोपियों से एक लैपटॉप, 13 मोबाइल, छह पासबुक, चार सिम कार्ड व अन्य सामान बरामद हुआ।

आरोपियों की पहचान निशांत शर्मा निवासी एच 111 कुंवरसिंहनगर नागलोई दिल्ली, टुनटुन कुमार निवासी ग्राम बिरजूमिल्की थाना हरनौत नालंदा बिहार, मेघा शर्मा निवासी सुल्तानपुरी नागलोई दिल्ली व दीपांशु कुमार निवासी चाणक्य प्लेस उत्तमनगर वेस्ट दिल्ली के रूप में हुई।

ऐसे करते थे लोगों से ठगी:

एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि सबसे पहले आरोपी सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना का विज्ञापन अपलोड करते थे।

इससे लोग इन ठगों से संपर्क करते थे और अपनी गाढ़ी कमाई गंवा बैठते थे। इसके अलावा आरोपी खुद भी अलग-अलग नंबरों से लोगों को फोन कर लोन के नाम पर अपने झांसे में लेते थे।

आरोपी उनसे प्रोसेसिंग फीस और इंश्योरेंस के नाम पर पहले 2000 रुपये फिर उन्हें लोन स्वीकृति का मैसेज कर लोन की किस्त के रूप में 5200 से 10200 रुपये तक अपने खाते में जमा करवाते थे।

लोगों को बताया जाता था कि यह पैसे 45 दिन बाद वापस हो जाएंगे। हालांकि, कुछ समय बाद आरोपी अपना मोबाइल नंबर बदल लेते थे।

देहरादून को बना दिया था जामताड़ा:

इंस्पेक्टर एसटीएफ प्रदीप राणा ने बताया कि इन आरोपियों ने देहरादून को बेस कैंप बनाया हुआ था।

इन्होंने उत्तराखंड में किसी को भी ठगी का शिकार नहीं बनाया। हालांकि, यहां के जरूरतमंद लोगों का इस्तेमाल इन्होंने बैंक खाते खुलवाने के लिए किया।

यह आरोपी दून में बैठकर गुजरात, केरल, ओडिशा, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों के लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे।

इंस्पेक्टर ने बताया कि प्राथमिक जांच में पता चला है कि इन्होंने सैकड़ों लोगों से करीब 50 लाख रुपये से अधिक ठगे हैं। हालांकि, यह आंकड़ा ऊपर भी जा सकता है।

झारखंड के जामताड़ा को भी इसी तरह अन्य साइबर ठगों ने बेस कैंप बनाया हुआ है।

जहां से ठग अन्य राज्यों में लोगों को अपना शिकार बनाते हैं।

आरोप है कि यह ठग जामताड़ा के लोगों का इस्तेमाल भी सिर्फ बैंक खाते खोलने के लिए ही करते हैं।

ठगी से प्राप्त रकम जमा करने के लिए खुलवाए गरीबों के खाते:

आरोपी इतने शातिर थे कि उन्होंने ठगी से प्राप्त होने वाली धनराशि जमा करने के लिए गरीब लोगों के नाम से बैंक खाते खुलवाए थे।

इसके लिए उन्होंने इन लोगों को पैसे देने का लालच भी दिया था।

आरोपियों ने इन बैंक खातों के एटीएम और पासबुक भी अपने पास ही रखे हुए थे।

जब ठगी की अच्छी खासी रकम बैंक खाते में जमा हो जाती तो वह इस खाते को बंद करवा देते।

 

 

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