आजकल नि:संतान होने वाले माता-पिता की संख्या तेजी से बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश के नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा शहर में दो हजार से अधिक परिवार ऐसे हैं जिनमें संतान पैदा न होने का गम है।
नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में आए दिन कैम्प लगाने वाली प्रसिद्ध आई.वी.एफ. विशेषज्ञ डॉ. नेहा गुप्ता का कहना है कि समय से ईलाज कराने पर अधिकतर नि:संतान (बेऔलाद) माता-पिता को बच्चे पैदा करने का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है।
15 मार्च को ग्रेटर नोएडा में कैंप कर रही डा. नेहा गुप्ता बताती हैं कि आई.वी.एफ. के अलावा भी अनेक तरीकों से बच्चे पैदा किए जा सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक,, डा0 नेहा गुप्ता ने यह खुलासा किया है कि इन दिनों नि:संतान माता-पिता की संख्या बढ़ रही है। डॉ. नेहा गुप्ता ने बताया कि नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में कम से कम दो हजार परिवार संतान पैदा न होने के गम से दु:खी तथा परेशान हैं।
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डॉ. नेहा गुप्ता ने बताया कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद तथा दिल्ली के अनेक माता-पिता उनके ईलाज से बच्चे पैदा करने का सुख हासिल कर पाए हैं।
आई.वी.एफ. क्या है ?
इस विषय में आगे बढऩे से पहले आपको बता दें कि आई.वी.एफ. आधुनिक युग में विज्ञान की एक चमत्कारिक खोज है। आई.वी.एफ. एक अंग्रेजी का नाम है।
आई.वी.एफ. की In Vitro Fertilization फुल फार्म है। शार्ट फार्म में इसे IVF कहा जाता है। IVF किसी क्लीनिक में गैर प्राकृतिक ढंग से बच्चा पैदा करने का तरीका है।
इसे टेस्ट टयूब बेबी के नाम से भी जानते हैं। इस प्रक्रिया में प्राकृतिक ढंग से मां न बन पाने वाली महिला के अंडे तथा पुरूष (पिता) के शुक्राणु को मिलाकर एक उपकरण (पेट्री डिश) में डाला जाता है।
एक निश्चित अंतराल के बाद उपकरण से अंडे तथा शुक्राणु के मिश्रण को मां के गर्भाशय में डाल दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया से बच्चा पैदा करने का IVF कहते हैं।
IVF के अलावा भी हैं तरीके
नोएडा में हमारे प्रतिनिधि के साथ हुई बातचीत में डा. नेहा गुप्ता ने बताया कि आज कल IVF क्लिनिक या नि:संतान रोगियों के ईलाज वाले हॉस्पिटलों की एक बाढ़ सी आ गयी है।
मेडिकल के इस क्षेत्र में जो एक क्रांति आई है वह अभूतपूर्व है। हर तरफ केवल इनफर्टिलिटी के इलाज का बोलबाला है।
डॉ. नेहा गुप्ता के अनुसार नि:संतानता का इलाज करवाने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि इसके कितने इलाज मौजूद हैं।
यह धारणा है कि इसका इलाज केवल आई.वी.एफ. ही है, यह सरासर गलत है। एक अनुभवी डॉक्टर या हॉस्पिटल में केवल 30 प्रतिशत रोगियों में ही IVF किया जाता है।
बाकि पेशेंट्स में निम्म इलाज से ही सफलता मिल सकती है। उन्होंने बताया कि काफी रोगियों का इलाज केवल दवाईयों से ही संभव हो जाता है। आजकल महिलाओं और पुरुषों के लिए ऐसी दवाएं मौजूद हैं, जिसके कोर्स से प्रेगनेंसी संभव है।
डॉ. नेहा गुप्ता ने बताया कि इस चिकिसा मैं स्पर्मूस को सीधा महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है।
इस इलाज से काफी रोगियों को सफलता प्राप्त हो जाती है। डा. नेहा बताती हैं कि अधिकांश महिलाओं में गर्भ न धारण करने का कारण गर्भाशय में यूटेराइन ट्यूमर, फाइब्रॉएड या सिस्ट का होना है।
इस समस्या का इलाज लेप्रोस्कोपी से संभव जिससे न केवल फाइब्रॉएड निकल जाता बल्कि ब्लॉक फॉलोपियन ट्यूब्स को खोल दि जाता है।