ज़्यादातर चूहों या चमगादड़ों को विभिन्न तरह की बीमारियां फैलाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। हालांकि हाल ही में सामने आई एक स्टडी में कुछ अलग ही तथ्य निकल कर आया है।
ताजा स्टडी में पता चला कि चूहों या चमगादड़ों जैसे जानवरों से ज्यादा इंसान विभिन्न तरह के वायरस जानवरों में फैलाते हैं।
आइए जानते हैं इस नई स्टडी के बारे में विस्तार से।
हमारे आसपास कई ऐसे वायरस और बैक्टीरिया मौजूद हैं, जो विभिन्न तरह की बीमारियों की वजह बनते हैं।
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बीते कई समय से इन वायरस और बैक्टीरिया को फैलाने के लिए चूहों और चमगादड़ों जैसे जानवरों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, लेकिन अब हाल ही में सामने आई एक ताजा स्टडी में चौंकाने का वाला खुलासा हुआ है।
इस नई स्टडी के मुताबिक असल में मनुष्य बड़ा खतरा है, जो जानवरों की तुलना में दोगुना वायरस अन्य जानवरों तक पहुंचाता है।
हाल ही में सामने आई इस स्टडी में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने वायरल जीनोम का विश्लेषण किया और पाया कि ज्यादातर मामलों (64%) में, वायरस मनुष्यों के जरिए दूसरे जानवरों (एंथ्रोपोनोसिस) में पहुंचे हैं।
हमारी कई सारी गतिविधियां इन वायरस को फैलाने में योगदान करती हैं। इंसानों द्वारा लगातार हैबिटेट का विनाश और तेजी से बढ़ता प्रदूषण जानवरों पर दबाव डालता है, जिससे वे हमारे द्वारा फैलाए जाने वाले वायरस के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं।
मनुष्यों द्वारा जानवरों तक पहुंचने वाले इन वायरस से दोहरा खतरा पैदा होता है। पहला तो ये कि यह वायरस इन नए मेजबानों यानी होस्ट (जानवरों) में विकसित हो सकते हैं और फिर संभावित रूप से वापस मनुष्यों में आ सकते हैं।
दूसरा ये कि इससे लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए खतरा बन सकते हैं।
जानकारी के अनुसार, इस विश्लेषण के बाद इंसानों को मनुष्यों को जूनोटिक बग के लिए एक सिंक मानने के बजाय, होस्ट के बड़े नेटवर्क में पैथोजन का आदान-प्रदान करने वाले एक नोड के रूप में मानना चाहिए।
क्या है एक्सपर्ट की राय?
शोधकर्ताओं का मानना है कि जानवरों और मनुष्यों के बीच वायरस के ट्रांसमिशन का सर्वे और इसकी निगरानी करके, वायरल डेवलपमेंट को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।
इससे उम्मीद है कि भविष्य में नई बीमारियों के प्रकोप और महामारी के लिए खुद को ज्यादा तैयार कर सकेंगे।
वहीं, इस रिसर्च के प्रमुख लेखक और पीएचडी स्कॉलर सेड्रिक टैन का कहना है कि जब मनुष्यों से वायरस जानवरों में पहुंचते हैं, तो यह न सिर्फ जानवरों को नुकसान पहुंचा सकता है और संभावित रूप से प्रजातियों के लिए संरक्षण खतरा भी पैदा कर सकता है, बल्कि कई नई समस्याएं भी पैदा कर सकता है।
इसके अलावा अगर इंसानों द्वारा लाया गया कोई वायरस किसी नई पशु प्रजाति को संक्रमित करता है, तो मनुष्यों के बीच खत्म होने के बाद भी यह वायरस जिंदा रह सकता है और दोबारा मनुष्यों को संक्रमित करने से पहले नए स्ट्रेन भी विकसित कर सकता है।