खोजी पत्रकार। राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य (मुख्य प्रमुख) डॉ अशुतोष सयाना से जब उनकी उपलब्धियों पर साक्षात्कार लिया गया तो सब सवालों का जबाब देते वो विवादस्पद दिखे।
उन्हें औंधी खोपड़ी बयाना क्यों लिखा गया आपको ये भी बताएंगे।
बात 3 महीने से ज्यादा पुरानी नही है राजकीय दून मेडिकल कालेज द्वारा 19 लोगो की आर.टी.पी.सी.आर रिपोर्ट नही दी गयी। हमारी खबर यही से शुरू हुई।
उत्तराखंड के एक कद्दावर मंत्री द्वारा अपने कुछ समर्थको के कोविड टेस्ट करवाने हेतु किसी लैब संचालक के कर्मचारी को सैम्पल एकत्रित करने हेतु बोला जाता है, लैब संचालक द्वारा सैंपल कलेक्ट करके उसे राजकीय दून मेडिकल कालेज की लैब में भिजवा दिया जाता है।
उस लैब के इंचार्ज डॉ शलभ जौहरी द्वारा को फ़ोन पर सैंपल कलेक्ट करने के लिए उच्च अधिकारी द्वारा निर्देशित किया जाता है और वो शाम 6 बजे सैंपल लेने के बाद उसकी एंट्री सिस्टम में 7 बजे करते है चूंकि 6 बजे के बाद सैंपल लेने मना था पर उच्च अधिकारी के निर्देश के कारण उस सैंपल की एंट्री मात्र 1 धंटे बाद सिस्टम में करते है और वो अगले दिन के लिए एंट्री कर देते है ताकि सही समय पर कोविड के मरीजों की जांच होकर उनको रिपोर्ट मिल सके।
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अगले दिन राजकीय दून मेडिकल कालेज के लैब के एच ओ डी शेखर पाल सुबह 8 बजे ही दून चिकित्सालय आकर रजिस्ट्रर और एंट्री चेक करते है और सिर्फ उसी 19 सैंपल पर सवाल खड़ा करते और की सुबह 8 बजे जब कोविड कि जांच शुरू नही हुई तो ये 19 सैंपल कहाँ से आ गए।
सवाल वाज़िब था पर जब डॉक्टर शलभ जौहरी ने वस्तु स्थिति से अवगत कराया कि उच्च अधिकारियों के निर्देश पर ये सैंपल कल ही आ गए थे पर इसकी एंट्री व्यस्तता होने के चलते लेट हो पाई तो अगले दिन की दिनांक के लिए इसकी एंट्री कर दी गयी।
असल खेल यही से शुरू हुआ, इस पूरे प्रकरण का रायता इतना बिखेरा गया कि इस प्रकरण पर लैब में तैनात टेक्नीशियन और एचओडी शेखर पाल द्वारा एवम प्राचार्य द्वारा इस मुद्दे को इतना बड़ा किया गया ताकि उनके द्वारा किये गए गलत कार्यो का ठीकरा किसी और पर फोड़ कर इतिश्री की जा सके।
जिसका खामियाजा डॉक्टर शलभ को इंचार्ज होने के चलते भुगतना पड़ा और इस प्रकरण को फर्जी आरटीपीसीआर टेस्ट और मेडिकल कालेज में गैंग का नाम देकर तमाम खबरे सिर्फ एक समाचार पत्र में छापी गयी क्योंकि इस प्रायोजित गैंग का एक सदस्य इस समाचार पत्र के मुख्य कार्मिक का रिश्तेदार या संबंधी था। तमाम कारणों को जानबूझकर समाचार पत्रों में छपवाकर मीडिया ट्रॉयल कर डॉक्टर शलभ जौहरी पर ठीकरा फोड़ उनको वहाँ से रुखसत कर दिया गया।
इन सब प्रकरणों के चलते कई दिन बीत जाने के बावजूद कोविड जांच के लिए आये उन 19 सैंपल रिपोर्ट की कोई रिपोर्ट जब ऑन लाइन नही आई तो सैंपल देने वालो ने फ़ोन कर जानकारी लेने की कोशिश की गई तो पता चला कि सैंपल लेने बाद भी और उनकी आईडी सिस्टम में जेनरेट होने के बावजूद भी उनकी रिपोर्ट का कुछ अता पता नही है तो उन सैंपल देने वालो ने मेडिकल कालेज प्राचार्य को अपनी गुहार लगाई तो उनके द्वारा उन 19 सैंपल में से चार रसूखदार लोगो की प्राइवेट लैब से अलग से कोरोना की जांच प्रचार्य द्वारा करवाई गई।
ऐसा प्राचार्य द्वारा जब किया गया तो वो खबर की धमक खोजी नारद तक भी पहुँची और पूरी 3 महीने की छानबीन के बाद ये निष्कर्ष निकला की इन सब प्रकरणों के सूत्रधार खुद अशुतोष सयाना ही है। क्योंकि शेखर पाल, दीपक और दो अन्य द्वारा कोविड जॉच में कई खेल खेले गए और इनके द्वारा ही सिर्फ एक समाचार पत्र में ही मेडिकल कालेज की खबरे लीक कर छपवाई गयी जिसकी जानकारी प्राचार्य सयाना को थी क्योंकि उनके द्वारा पूरे प्रकरण पर जांच कमेटी बनाना और जांच कमेटी के रिपोर्ट आये बिना सिर्फ एक ही समाचार पत्र पर मीडिया ट्रायल होना कई संदिग्ध गतिविधियों की ओर अपने आप मे इशारा कर रहा था।
जब खोजी नारद द्वारा 90 दिनों में पूरी जॉच पड़ताल की तो इस राजकीय मेडिकल कालेज से जुड़े कई अन्य रहस्य और भी उजागर हुए।
जिसे हमारे द्वारा 3 भाग में प्रकाशित किया जाएगा।
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि उन 19 लोगो की जांच के लिए गए सैंपल की रिपोर्ट को 48 घण्टे बीतने के बावजूद भी सिस्टम पर अपडेट क्यों नही किया गया?
उन 19 सैंपल का क्या हुआ?
कोविड नियमो के चलते 24 से 48 घंटे में रिपोर्ट देनी आवश्यक है तो लगभग चार महीने बीत जाने के बावजूद भी उनकी रिपोर्ट क्या हुआ?
इन 19 लोगो मे से 4 लोगों की रिपोर्ट दवाब बढ़ने पर प्रचार्य द्वारा प्राइवेट लैब से क्यो करवाई गई उसका भुगतान किसके द्वारा किया गया?
अपने राजदारों पर कार्यवाही करने की बजाए सिर्फ लैब इंचार्ज डॉ शलभ जौहरी पर प्राचार्य द्वारा क्यों कार्यवाई करी गयी?
उन 19 लोगो की जांच रिपोर्ट सही समय पर ना देने चलते लैब टेक्नीशियन और एचओडी पर प्रचार्य आशुतोष सयाना द्वारा कोविड नियमो के उल्लंघन पर कोई करवाई क्यों नही की गई?
डॉक्टर शलभ जौहरी क्यों बने बलि का बकरा?
खोजी नारद का अगला भाग जल्द पढ़े।
औंधी खोपड़ी का बयाना प्राचार्य सयाना: भाग 2