क्यों खड़े होते हैं रोंगटे ? जानिए फायदे और नुकसान : अक्सर जब हम डर जाते हैं या फिर हमारे साथ जब कोई ऐसी घटना घटती है, जो उम्मीद से परे होती है। तो हम हैरान रह जाते हैं। ये हैरानी शरीर में रोंगटों के रूप में भी कई बार नजर आती है। मगर क्या आपने सोचा है कि ये रोंगटे खड़े क्यों होते हैं। रोंगटे खड़े होना बिल्कुल आम बात है। कई बार रोंगटे इसलिए खड़े हो जाते हैं कि हमें हद से ज्यादा ठंड लगती है। जब शरीर तापमान नहीं बर्दाश्त कर पाता तो रोंगटे खड़े होने लगते हैं।
सबसे पहले तो ये बात जान लेना जरूरी है कि रोंगटे होते क्या हैं। दरअसल, ये शरीर की एक छोटी सी मांसपेशी (Tiny Muscle) होती है, जो आपके शरीर के हर बाल की जड़ को घेर कर रखती है। जब भी हम कुछ अप्रत्याशित अनुभव करते हैं तो पूरी शरीर में एक सनसनी या फिर झुनझुनी का अहसास होता है।
मगर क्या आप जानते हैं कि ऐसा भला होता क्यों है। शरीर में इस झुनझुनी का अहसास किसी भी मौसम में हो सकता है। रोंगटे खड़े होने की घटना को पिलोइरेक्शन कहते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान हमारे शरीर के बाल कुछ देर के लिए खड़े हो जाते हैं त्वचा भी थोड़ी सिकुड़ सी जाती है और बालों की जड़ों के पास थोड़ा उभार सा आ जाता है।
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बालों के रोम के पास लगी पिलोरेक्टर मांसपेशियां सिकड़ जाती हैं, जिससे बाल भी खड़े हो जाते हैं। अब ये पिलोइरेक्शन क्या है, चलिये जानते हैं। दरअसल, ये एक रिएक्शन होता है, जो ठंड, डर या फिर सदमे की फीलिंग्स से शुरू हो सकता है। न्यूयॉर्क में कॉर्नेल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कीथ रोच बताते हैं कि रोंगटे खड़े होना इंसानों के लिए फायदेमंद है। हालांकि हमारे शरीर पर जानवरों की तरह बाल नहीं होते, फिर भी पिलोरेक्टर मांसपेशियां नाजुक अंगों पर दबाव कम करने और ठंड की फीलिंग को कम करने के लिए प्रतिक्रिया करती हैं।