औरतें बिल्ली और पुरुष है भेड़िये! : दुनिया में आप सबने बहुत अजीबोगरीब नाम सुने होंगे. लेकिन उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक ऐसा अनोखा गांव है. जहां सभी लोगों के नाम के साथ चूहा-बिल्ली, तोता-भेड़ियों के नाम आते हैं. हम बात कर रहे हैं बागपत जिले के बामनौली गांव की. क्योंकि यहां पर सभी के नाम के साथ किसी न किसी जानवर और पंछी का नाम है. इसके पीछे का कारण एक पुराना रिवाज बताया जाता है. इसके साथ-साथ यहां के लोगों की पहचान हवेलियों से भी होती है. इस गांव को सबसे यूनिक यहां मौजूद 11 ऐतिहासिक मंदिर बनाते हैं।
पशुओं से हैं गांव के लोगों के उप नाम
गांव के व्यक्ति विरेश का पूरा नाम विरेश भेड़िया है. विरेश ने बताया कि लोगों के उपनाम पशुओं व जानवरों के नाम पर रखने का रिवाज काफी पुरानी है. उनके अनुसार गांव में कई के नाम के पीछे तोता, चिड़िया, गिलहरी, बकरी, बंदर आदि लगे हैं. गांव के सोमपाल को गीदड़ के नाम से पुकारा जाता है. इतना ही नहीं, कोई चिट्ठी आती है तो यही उपनाम लिखे जाते हैं. डाक कर्मी बिजेंद्र सिंह ने बताया कि उपनाम से ही गांव के लोग जाने जाते हैं. उनकी चिट्ठियों पर उनके नाम के साथ उपनाम लिखे जाते हैं।
नाम रखने का रिवाज है पुराना
बागपत के इस अनोखे गांव में 11 ऐतिहासिक मंदिर भी हैं. मंदिरों की खास बात यह है कि ये सभी मंदिर गांव के चारों ओर बने हुए हैं. गांव में स्थित नागेश्वर मंदिर, बाबा सुरजन दास मंदिर, ठाकुर द्वारा मंदिर, शिव मंदिर, हनुमान मंदिर, बाबा काली सिंह मंदिर, दिगंबर जैन मंदिर, श्वेताम्बर स्थानक, शिव मंदिर, गुरु रविदास मंदिर, वाल्मीकि मंदिर भारत के साथ-साथ विदेशों तक काफी प्रसिद्ध हैं. लोगों के द्वारा पशुओं व जानवरों के नाम पर उपनाम रखने का रिवाज काफी पुराना है. आपको बता दें कि गांव के कई नामों के पीछे तोता, चिड़िया, गिलहरी, बंदर आदि शब्द लगे हुए हैं. यही नहीं एक गांव के शख्स को हर कोई गीदड़ के नाम से पुकारता है. बाहर से चिट्ठी लिखने वाले लोग गांव के लोगों के नाम के साथ उनके अपनाम भी लिखते हैं ।
250 साल पुरानी हवेलियां हैं मौजूद
बागपत जिला मुख्यालय से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बामनौली गांव अपने अनोखे उपनाम के साथ 250 साल से भी पुरानी हवेलियों के लिए भी जाना जाता है. गांव में कुल मिलाकर 24 से भी ज्यादा हवेलियां हैं. जिसके कारण गांव को हवेलियों वाला गांव भी कहा जाता है. गांव की आबादी लगभग 14000 के करीब है. गांव में मौजूद 24 से अधिक हवेलियां यहां के पूर्वजों की गाथा दर्शाती हैं।
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हालांकि समय के साथ-साथ गांव में आधुनिक घरों की भी संख्या बढ़ गई है. लेकिन अभी भी ढाई दर्जन परिवार पूर्वजों की हवेलियों में रहते हुए यहां के इतिहास को संजोए हुए हैं. गांव के बुजुर्गों के अनुसार कुछ लोग गांव की हवेलियों को बेचकर बाहर शहर में रहने के लिए चले गए हैं. उनके अनुसार आज भी गांव की शान और पहचान इन्हीं पुरानी हवेलियों से है।