मैदा खाने से शरीर में क्या नुकसान होता है : मैदा (refined flour) का सेवन अत्यधिक मात्रा में करने से शरीर पर कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। कुछ प्रमुख नुकसान इस प्रकार हैं: मैदा में फाइबर की कमी होती है, जो कब्ज, एसिडिटी और अन्य पाचन समस्याओं का कारण बन सकता है। मैदा में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है, लेकिन पोषण तत्व कम होते हैं। इसका सेवन करने से वजन बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि यह शरीर में जल्दी ऊर्जा के रूप में जमा हो जाता है। मैदा में ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) अधिक होता है, जिससे यह जल्दी ग्लूकोज में बदल जाता है और रक्त शर्करा के स्तर को तेज़ी से बढ़ा सकता है। इससे डायबिटीज होने की संभावना बढ़ सकती है। मैदा के अधिक सेवन से शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ सकता है, जो हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ा सकता है। मैदा को तैयार करने की प्रक्रिया में इसके अधिकांश विटामिन, खनिज और फाइबर नष्ट हो जाते हैं, जिससे यह पोषण की दृष्टि से कमजोर हो जाता है। कुछ लोगों को मैदा से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर रैशेज, सूजन, पेट में दर्द और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। मैदा का सेवन शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ा सकता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। इन कारणों से, मैदा का सेवन सीमित मात्रा में ही करना बेहतर होता है और साबुत अनाज या आटे के विकल्पों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
मैदा कैसे बनता है
मैदा (refined flour) गेहूं से बनाया जाता है, और इसे तैयार करने की प्रक्रिया में गेहूं के दानों को गहराई से संसाधित किया जाता है ताकि इसका रंग सफेद और बनावट महीन हो सके। मैदा बनाने की प्रक्रिया इस प्रकार होती है:
- गेहूं की सफाई: सबसे पहले, गेहूं के दानों को साफ किया जाता है ताकि उसमें मौजूद धूल, मिट्टी, कंकड़ और अन्य अशुद्धियों को हटाया जा सके। इसके लिए मशीनों का उपयोग किया जाता है।
- गेहूं का पिसना: साफ किए गए गेहूं के दानों को मिलिंग मशीनों में डाला जाता है। इस प्रक्रिया में दानों को पीसा जाता है, लेकिन इसे सीधे मैदा नहीं कहते। इस अवस्था में गेहूं के तीन हिस्से होते हैं:
- चोकर (Bran): यह बाहरी छिलका होता है, जो फाइबर से भरपूर होता है।
- एंडोस्पर्म (Endosperm): यह गेहूं का मध्य भाग होता है, जो स्टार्च और प्रोटीन से भरा होता है। इसे पीसकर मैदा बनाया जाता है।
- जर्म (Germ): यह गेहूं का सबसे अंदरूनी हिस्सा होता है, जो विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है।
- चोकर और जर्म का हटाना: मिलिंग प्रक्रिया के दौरान गेहूं से चोकर और जर्म को अलग कर दिया जाता है, क्योंकि मैदा केवल एंडोस्पर्म से बनाया जाता है। चोकर और जर्म को अलग करने के बाद, बचे हुए एंडोस्पर्म को और अधिक महीन पीसा जाता है।
- छानना: पीसे हुए एंडोस्पर्म को बार-बार छाना जाता है ताकि इसका बनावट एकदम बारीक और मुलायम हो जाए। इस प्रक्रिया में महीन मैदा तैयार होता है।
- ब्लिचिंग (Bleaching): कुछ मामलों में, मैदा को सफेद और चमकदार बनाने के लिए इसमें केमिकल्स का उपयोग किया जाता है, जिसे ब्लिचिंग कहते हैं। हालांकि, सभी प्रकार के मैदा में ब्लिचिंग प्रक्रिया का उपयोग नहीं होता है।
इस प्रकार मैदा तैयार होता है। मैदा गेहूं के पौष्टिक तत्वों को हटाकर केवल स्टार्च से बना होता है, इसलिए इसमें फाइबर और पोषण की कमी होती है। यही कारण है कि इसे स्वास्थ्य के लिए कम लाभकारी माना जाता है।