हल्दी हर किसी रसोई का अहम हिस्सा है जिसका इस्तेमाल खाने में गोल्डन रंग देने के लिए किया जाता है।
शुभ प्रसंगों से लेकर स्किन केयर और औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी का कई प्रकार से इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कर्क्यूमिन पाया जाता है जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है।
जानिए हल्दी से होने वाले फायदों के बारे में
हल्दी हमारी रसोई का बेहद अहम हिस्सा मानी जाती है। इसका इस्तेमाल सिर्फ खाने में ही नहीं, बल्कि स्किन केयर और कई मांगलिक कार्यों में भी होता आया है।
आयुर्वेद में हल्दी को दवा की तरह भी उपयोग में लाया जाता है। ऐसा इसमें मौजूद कुछ खास तत्वों के कारण होता है।
इसमें कर्क्यूमिन नाम का एक कंपाउंड पाया जाता है, जो इसे पीला रंग देता है और साथ ही, इसे हमारी सेहत के लिए फायदेमंद भी माना जाता है।
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हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जिससे शरीर में होने वाली सूजन को कम करने में मदद मिलती है।
सूजन धीरे-धीरे शरीर के टिश्यूज को प्रभावित करने लगती है, जिसके कारण दर्द बढ़ जाता है।
कर्क्यूमिन सूजन को कम करता है और दर्द से आराम दिलाता है।
यह आर्थराइटिस की वजह से होने वाली सूजन को कम करने में कारगर साबित हो सकता है।
हल्दी दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करती है। कर्क्यूमिन ब्लड वेसल्स की लाइनिंग को स्वस्थ बनाता है, जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है और ब्लड फ्लो भी बेहतर होता है।
साथ ही, हल्दी के सेवन से सूजन कम होती है और ऑक्सीडेटिव डैमेज कम होता है, जिसके कारण दिल से जुड़ी समस्याओं से बचाव करने में मदद मिलती है।
हल्दी में पाया जाने वाला कर्क्यूमिन डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
डिप्रेशन यानी अवसाद एक प्रकार का मेंटल डिजीज है, जिसमें व्यक्ति के बर्ताव में और सोचने-समझने में बदलाव होने लगता है।
ऐसे में कर्क्यूमिन डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मददगार होता है।
हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है, जो ऑक्सीडेटिव डैमेज को कम करता है।
ऑक्सीडेटिव डैमेज की वजह से एजिंग और कई बीमारियां, जैसे कैंसर का खतरा रहता है। कर्क्यूमिन फ्री रेडिकल्स को कम करता है, जिससे इन परेशानियों से बचाव होता है।
कर्क्यूमिन याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता को कमजोर होने से बचाता है।
यह कॉग्नीटिव एबिलिटी यानी संज्ञानात्मक क्षमता के लिए फायदेमंद होता है।
इसलिए इससे अल्जाइमर डिजीज से बचाव होता है, जो कॉग्नीटिव फंक्शन को प्रभावित करने वाली एक बीमारी है।