केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 को राज्यसभा में चर्चा और पारित किए जाने के लिए पेश किया था। विपक्ष की अनुपस्थिति में तीनों विधेयकों पर हुई लंबी चर्चा के बाद इसे पारित किया गया।
कानूनी प्रक्रिया से जुड़े तीन कानूनों, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम (एविडेंस एक्ट) को नए सिरे से परिभाषित करने वाले तीन नए विधेयक को गुरुवार को संसद से मंजूरी मिल गई।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 को राज्यसभा में चर्चा और पारित किए जाने के लिए पेश किया था।
विपक्ष की अनुपस्थिति में तीनों विधेयकों पर हुई लंबी चर्चा के बाद इसे पारित किया गया।
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केन्द्रीय गृह मंत्री ने इन विधेयकों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इनका उद्देश्य कानूनी प्रक्रिया को दंड केन्द्रित के बजाय न्याय केन्द्रित करना है और भारतीय विचार को न्याय प्रणाली में जगह देना है।
पिछली बार पेश विधेयकों को गृह विभाग की स्थायी समिति को भेजा गया था। समिति ने विधेयकों में कई बदलाव सुझाए थे।
इनमें से बहुत से बदलावों को स्वीकार किया गया है। ऐसे में विधेयकों से जुड़े संशोधन लाने की बजाय नए ढंग से विधेयक लाए गए हैं।
इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023, भारतीय न्याय संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 का पारित होना भारत के इतिहास में ऐतिहासिक क्षण हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ये विचार एक सोशल मीडिया पर पोस्ट में साझा किए।
सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट में उन्होंने कहा कि ये विधेयक औपनिवेशिक काल की समाप्ति और जनसेवा तथा कल्याण के नए युग की शुरुआत के प्रतीक हैं।
उल्लेखनीय है कि इन तीनों विधेयकों को राज्यसभा के समक्ष चर्चा और पारित के लिए पेश किया गया जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। बुधवार को ये तीनों विधेयक लोकसभा से पारित हुए थे।