आज उत्तराखंड अपनी युवावस्था में पहुँच चुका है और बीजेपी ने एक युवा को ही प्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त किया और उस युवा ने भी अपनी करामात दिखाते हुए राज्य में हर पांच साल में बदलने वाली वाली सत्ता के परिवर्तन के खेल को बदल कर दूसरी बार बीजेपी को सत्ता में फिर विराजमान करके कीर्तिमान रच दिया जिससे सियासी गलियारो में हलचल मच गयी कई लोगो ने इसे धामी का चमत्कार तो कई ने इससे मोदी मैजिक के नाम से खबर को तूल दिया।
खैर बीजेपी लगातार दूसरी बार सत्ता में आई और धामी जी अपनी सीट हारने के बावजूद भी फिर दोबारा मुख्यमंत्री बने।
ये बीजेपी का सियासी पैंतरा है या धामी जी का जादू ये कहना थोडा मुश्किल है बहरहाल धामी जी ने मुख्यमंत्री का पद संभाला और सभी कयासों पर विराम लगा दिया।
प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपनी छवि को निखारने के लिए भरसक सभी प्रयास किये हैं।
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उसमे उन्होंने कई कठिन और साहसिक फैसले भी लिए जिनकी खूब सराहना भी हुयी किन्तु कुछ ऐसे फैसले भी हुए जिन्होंने उनकी राजनितिक किरकिरी भी करवा दी।
युवाओं में उन्होंने खासी अपनी छाप छोड़ी किन्तु उत्तराखंड में हुए पेपर लीक मामलों में उनकी युवाओं में किरकिरी भी खूब हुयी।
प्रधानमन्त्री जी की राह पर चलते हुए उन्होंने खुद को मुख्यसेवक भी घोषित कर दिया जिसका विपक्षियों ने मजाक भी बनाया किन्तु उनका मुख्यसेवक का ये हथियार उनके पक्ष में युवाओं को जोड़ने में कामयाब हुआ।
कई बार युवाओं और उनसे जुड़े हुए मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए उनकी तारीफ़ जमकर हुई किन्तु बेरोजगारी और और युवाओं के प्रदर्शन रैली में हुई लाठी चार्ज ने सब किये हुए पर पानी भी फेर दिया।
केंद्र सरकार ने पुष्कर सिंह धामी जी को नेतृत्व देकर २०२४ के लोकसभा चुनावों में मजबूती हासिल करने के लिए धामी जी का चेहरा आगे करने और उनके मासूम और साफ़ छवि का फायदा लेने का जो फैसला लिया है, उसपर धामी जी कितना खरा उतरते हैं ये तो आने वाला समय ही बतायेगा।
अपने युवा होने और युवाओं के लिए फैसले लेने के लिए उन्होंने खूब मजबूती के साथ सबके सामने रखा है किन्तु बेरोजगारी और पेपर लीक जैसी घटनाओं से अपनी किरिकिरी भी करवा ली, विपक्षियो को चित करने के लिए उनके युवा प्रदेश युवा मुख्यमंत्री के नारे का दांव उन्होंने खेला वो उनके राजनितिक महारथी होने का सबूत देता है ।
किन्तु समय और समय के साथ सबको साथ लेकर चलने की कला में थोडा पिछड़ते हुए भी नजर आते हैं कभी उनके खिलाफ अंदरूनी विरोध की खबरे भी मीडिया में चलने लगती हैं।
जिसे उनके कमजोर पक्ष के रूप में देखा जाता है अब ये खबरें कितनी सच हैं या सिर्फ अफवाह है ये तो समय आने पर ही पता चलेगा।
कित्नु अपने कई फैसलों से धामी जी प्रदेश की जनता को साधने में काफी हद तक कामयाब होते नजर आयें हैं, जो सियासी गलियारों में उनके खिलाफ बाते नजर आती हैं उनको कैसे वो संभाल पाते हैं या फिर कैसे उससे विपक्षियों पर बाउंस बैक करते हैं ये अभी देखने वाली बात होगी ।
वो कई इंटरव्यू में यह बात कह चुके हैं की उनके कार्यों की गति को रोकने के लिए उनपर झूठी खबरें चलाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जाती रही है।
युवा प्रदेश युवा मुख्यसेवक अपने कार्यों के माध्यम से कैसे अपनी पैंठ मजबूत बनाकर इन सियासी ख़बरों या अफवाहों का सामना कर आगे बड़ते हैं ये उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
एक सूझबूझ की राजनीति से वो कैसे आगे बढते हैं ये उनके विवेक और फैसलों पर निर्भर करेगा प्रदेश के युवाओं और प्रदेश की जनता के साथ साथ अपनी पार्टी के अंदर हो रहे अंदरूनी विरोध और विपक्षियों को साधने की कला उनके पास कितनी है ये आने वाला कल ही बतायेगा।
प्रदेश अपने युवा दौर से गुजर रहा है ऐसे में प्रदेश को आगे ले जाने और पार्टी के सभी सदस्यों को साथ लेकर चलना उनके लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा ।
राजनीति के महारथी और भाग्य के धनी कहे जाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के लिए आगे की चुनौतियाँ आसान नहीं होने वाली वो कैसे इन चुनौतियों का सामना करके आगे बढते हैं।
इस पर प्रदेश के साथ-साथ केंद्र की भी पैनी नजर रहेगी .