प्रदेश संगठन और प्रभारी वरिष्ठ नेताओं के निशाने पर हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने पार्टी के अंदरूनी परिस्थितियों की जानकारी पार्टी हाईकमान को पहुंचा दी है।
पार्टी क्षत्रपों में समन्वय बनाने और बढ़ते असंतोष को थामने को पार्टी हाईकमान की ओर से प्रदेश में शीघ्र पर्यवेक्षक भेजे जा सकते हैं।
पर्यवेक्षक पार्टी के भीतर बढ़ती अनुशासनहीनता की थाह भी लेंगे।
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प्रदेश में बीते वर्ष विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में पार्टी नेताओं के बीच दूरियां कम होने के स्थान पर बढ़ी हैं।
पार्टी हाईकमान की ओर से प्रदेश संगठन और विधानमंडल दल में किए गए परिवर्तन के बाद भी असंतोष थम नहीं पाया है।
लंबे समय से नाराज चल रहे नेता गाहे-बगाहे प्रदेश संगठन के साथ ही प्रदेश प्रभारी को निशाने पर ले रहे हैं।
हाल ही में किच्छा से विधायक एवं पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह प्रदेश प्रभारी की भूमिका पर प्रश्न खड़े कर चुके हैं।
अब इस कड़ी में एक और नाम विधायक मदन बिष्ट का भी जुड़ चुका है।
उन्होंने भी विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश प्रभारी को नहीं हटाने के पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्णय पर सवाल दागे।
यही नहीं उन्होंने अवैध रूप से मजार हटाने के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बयान का समर्थन कर पार्टी को असहज कर दिया।
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन सुधारने की है।