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बिहार के डाकघरों में महज तीन साल में 1.91 करोड़ खाते बंद, जानिये क्यों जा रहे खाताधारक

सुबोध कुमार नंदन. पटना. बिहार के लगभग 10 हजार डाकघरों में पिछले तीन साल में विभिन्न योजनाओं के 1.91 करोड़ खाते बंद हुए हैं. इसको लेकर डाकघर के अधिकारी परेशान हैं. मिली जानकारी के अनुसार बिहार सर्किल डाक विभाग के 25 डिवीजन में वर्ष 2019-20 के दौरान बचत खाता, रेकरिंग डिपॉजिट, टाइम डिपॉजिट स्कीम, सुकन्या समृद्धि स्कीम, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम के तहत 3,16,30,292 खाते थे.

पैन और आधार कार्ड अनिवार्य होने के कारण बंद हुए खाते

वर्ष 2021-2022 में यह आंकड़ा घटकर 1,50,54,098 और वर्ष 2022- 23 में 1,25,26,686 रह गये. डाकघर के वरीय अधिकारियों की मानें, तो यह गिरावट पैन और आधार कार्ड अनिवार्य होने के कारण हुई है. वहीं, दूसरी ओर विभिन्न बचत खातों में लगातार गिरावट को देखते हुए डाक विभाग समय-समय पर विशेष ड्राइव भी चला रहा है.

नये खाते नहीं खुल रहे हैं

इसके बावजूद उम्मीद के अनुसार नये खाते नहीं खुल रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर डिवीजन में वर्ष 2019- 20 में 15,50,289 बचत खाते थे, जो 2021- 22 में घट कर 8,41,817 और 2022- 23 में 7,63,091 रह गये. वहीं भागलपुर डिवीजन में वर्ष 2019-20 में बचत खाताधारकों की संख्या 13,35,719 थी, जो वर्ष 2021-22 में घट कर 5,98,941 और 2022- 23 में 6,03,112 हो गयी.

भागलपुर और बांका में चार लाख से ज्यादा खाता इनऑपरेटि

इधर, भागलपुर और बांका जिले के डाकघरों में खाताधारों का चार लाख से ज्यादा खाता इनऑपरेटिव है, जिनमें पिछले तीन सालों से किसी प्रकार का लेन-देन नहीं हुआ है. खाताधारकों ने इन खातों को चलाने में किसी प्रकार की दिलचस्पी नहीं दिखायी है. खाते खोलने के बाद इसमें पड़ी राशि पर भी अब तक किसी ने दावा नहीं किया है. भागलपुर व बांका के डाकघरों में 13 लाख खाता धारक है, जिसमें मात्र नौ लाख खातों का ही संचालन हो रहा है.

क्या कहते हैं अधिकारी

डाकघरों में निष्क्रिय खातों को चालू करने का एक मौका खाताधारकों को दिया जायेगा. खाता चालू करने के लिए आग्रह किया जायेगा. ऐसे देखा जायेगा कि किस व्यक्ति के निष्क्रिय खातों में कितनी राशि है. पहले 20 रुपये और 50 रुपये से खाता खुलता था. अभी मिनिमम बैलेंस 500 रुपये रखने का प्रावधान है. मोटी रकम वाले खाताधारक खाता का संचालन कर सकता है.

 

 

 

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