महिला आरक्षण और उत्तराखंड की राजनीति
उत्तराखंड में ये व नाम हैं जो फ्रंट लाइन पॉलिटिक्स में दिखाई देते हैं और जिन्हे महिला आरक्षण बिल के लागू होने का इंतजार है।
अगर यह संभव होता है, तो उत्तराखंड के लिए लगभग 50-50 का औसत हो जाएगा क्योंकि 5 में से 2 सीटें महिलाओं के हिस्से में आ जाएगी।
अब देखना यह है कि दो बड़ी पार्टियों में क्या ये कैंडिडेट मुफीद सिलेक्शन साबित होगी?
वर्तमान में लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, हैरानी की बात यह है कि राज्य विधानसभाओं में यह आंकड़ा दस फीसदी से भी निचले स्तर पर है।
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उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटें हैं, यदि महिला आरक्षण पर मुहर लगती है तो यहां सर्वाधिक 27 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जा सकती हैं, तेलंगाना में 17 में से 6, उत्तराखंड में 5 में से 2, पश्चिम बंगाल में 42 में से 14 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो सकती हैं।
कांग्रेस के लिए चुनौती
अब बात कांग्रेस की करें तो सबसे बड़ी नेत्री इंदिरा हृदयेश के निधन से बड़ा फेस फिलहाल पार्टी के पास नहीं है क्योंकि सरिता आर्य ने पार्टी बदल ली है और ममता राकेश से ज्यादा उम्मीद लगाना ज्यादती होगी।
ऐसे में महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला ही एक बड़ा फेस बन सकती हैं जिनको गांधी परिवार और प्रियंका राहुल का भी आशीर्वाद मिला हुआ है।
वहीं पूर्व सीएम हरदा अपनी जिद मनवाने में कामयाब हुए तो विधायक बिटिया अनुपमा या पत्नी को दिल्ली की राह की चाह में कइयों की आह निकलवा सकते हैं।
लेकिन यहाँ चेहरे भाजपा के मुक़ाबले कम ही दीखते हैं..उत्तराखंड की मौजूदा सियासत में अब एक तीसरे कोण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और वो है चर्चित विधायक उमेश कुमार को, जो हरिद्वार को मथने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
भाजपा से दोस्ती, सीएम से भाईचारा और कांग्रेस से it’s okay, जैसे हालात में उनकी मैडम और क्षेत्र में सक्रिय सोनिया शर्मा की उम्मीदवारी भी किसी से कमजोर है, ऐसा तो फिलहाल कहना भूल होगा।दो सीटों में महिला दावेदार बनेंगी तो बची तीन सीटों पर कलेश भी बढ़ेगा।
फिलहाल कब्जा भाजपा का है, तो उम्मीदवारों के सपने इसी खेमे में ज्यादा टूटेंगे।
2024 में चुनावी साल में महिला आरक्षण बिल लागू हो जाता है, तो उन प्रदेशों की महिला नेत्रियों की लॉटरी लग जाएगी जो सक्रिय और प्रभावी भूमिका में हैं।
पहले बात सत्ताधारी भाजपा की कर लेते हैं जहाँ महिला विधायक तो कई हैं, लेकिन सांसद पद के लिए मुफीद मौजूदा मंत्री रेखा आर्य और नैनीताल से विधायक सरिता आर्य बड़ा चेहरा माना जा सकता है।
वहीं दिग्गज खंडूडी की विधायक बेटी और विधान सभा अध्यक्ष ऋतू खंडूडी पौड़ी से दमदार दावेदार साबित हो सकती हैं स्थानीय और अनुभवी के साथ साथ इन्हें क्षेत्र में सक्रिय देखा जाता है।
वही दूसरी पंक्ति में कुछ नाम सामने आ सकते हैं जो चौंकाने वाले हो सकते हैं।उत्तराखंड की मौजूदा सियासत में अब एक तीसरे कोण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और वो है चर्चित विधायक उमेश कुमार को, जो हरिद्वार को मथने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
भाजपा से दोस्ती, सीएम से भाईचारा और कांग्रेस से it’s okay, जैसे हालात में उनकी मैडम और क्षेत्र में सक्रिय सोनिया शर्मा की उम्मीदवारी भी किसी से कमजोर है, ऐसा तो फिलहाल कहना भूल होगा।
दो सीटों में महिला दावेदार बनेंगी तो बची तीन सीटों पर कलेश भी बढ़ेगा।फिलहाल कब्जा भाजपा का है, तो उम्मीदवारों के सपने इसी खेमे में ज्यादा टूटेंगे, 2024 में चुनावी साल में महिला आरक्षण बिल लागू हो जाता है, तो उन प्रदेशों की महिला नेत्रियों की लॉटरी लग जाएगी जो सक्रिय और प्रभावी भूमिका में हैं।
पहले बात सत्ताधारी भाजपा की कर लेते हैं जहाँ महिला विधायक तो कई हैं, लेकिन सांसद पद के लिए मुफीद मौजूदा मंत्री रेखा आर्य और नैनीताल से विधायक सरिता आर्य बड़ा चेहरा माना जा सकता है।
वहीं दिग्गज खंडूडी की विधायक बेटी और विधान सभा अध्यक्ष ऋतू खंडूडी पौड़ी से दमदार दावेदार साबित हो सकती हैं स्थानीय और अनुभवी के साथ साथ इन्हें क्षेत्र में सक्रिय देखा जाता है।
वही दूसरी पंक्ति में कुछ नाम सामने आ सकते हैं जो चौंकाने वाले हो सकते हैं।