फिलहाल जोशीमठ में भू-धंसाव की स्थिति स्थिर है। लेकिन आने वाले दिनों में हालात क्या होंगे, इसे लेकर अभी कई तरह की आशंकाएं हैं।
यह सवाल सभी के जेहन में है कि मानसून में कहीं भू-धंसाव के बाद बनी दरारें और गहरा तो नहीं जाएंगी।
पानी के नए स्रोत भी फूट सकते हैं। शासन प्रशासन भी इंतजार करो और देखो की स्थिति में है।
प्रदेश में पांच दिन बाद उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले मानसून को लेकर जोशीमठ के स्थानीय लोगों के साथ ही शासन-प्रशासन के लोग भी चिंतित हैं।
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विशेषज्ञों ने जोशीमठ में और भूगर्भीय अस्थिरता की आशंका व्यक्त की है, जहां अब तक 868 भवनों में दरारें आ गई हैं और 181 को असुरक्षित घोषित किया गया है।
502 प्रभावित परिवारों में करीब 437 को मुआवजा बांटा जा चुका है, जबकि 65 परिवार अभी भी प्रशासन की ओर से विभिन्न होटलों और धर्मशालाओं में ठहराए गए हैं।
जोशीमठ भू-धंसाव के बाद वैज्ञानिक संस्थाएं अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप चुकी हैं।
इन रिपोर्ट पर कई दौर की बैठकें भी हो चुकी हैं। शासन के सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में जोशीमठ भू-धंसाव की स्थिति करीब-करीब स्पष्ट हो चुकी है।
यहां भी बात मानसून पर अटकी हुई है। मानसून की बारिश जोशीमठ पर क्या असर डालेगी, सरकार को भी इस बात का इंतजार है।