भारत में नौकरशाही अलग-अलग डिपार्टमेंट में देखने को मिल जाती है और सच तो ये है कि ब्यूरोक्रैट्स ही देश की रीढ़ की हड्डी हैं जो आंतरिक रूप से इस देश के कामकाज को सुनियोजित ढंग से चलाने में मदद करते हैं. इन अफसरों और अधिकारियों को कई तरह की सुख सुविधाएं उनके रैंक के हिसाब से मिलती हैं पर उनमें एक चीज कॉमन होती है, वो है उनकी कुर्सी पर सफेद रंग की तौलिया का इस्तेमाल. क्या आप जानते हैं कि आखिर अधिकारियों की कुर्सी पर सफेद तौलिया का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
लंबे वक्त से चली आ रही इस परंपरा का सटीक जवाब तो किसी के पास भी नहीं है, हालांकि, सोशल मीडिया पर अक्सर ये सवाल चर्चा में आ जाता है और लोग अपने-अपने हिसाब से इसका उत्तर देते हैं. ये सवाल नया नहीं है. इसी साल फरवरी के महीने में कई अधिकारी और आम जनता इस बात पर मजाकिया तौर पर सोशल मीडिया पर ही भिड़ गई और चर्चा करने लगी कि आखिर कुर्सियों पर तौलिया का क्या काम होता है।
क्यों होती है सफेद तौलिया ?
एक अफसर ने कहा कि अगर 10 कुर्सियां एक कमरे में रखी हों तो उसमें से कैसे फर्क किया जाए कि कौन सी कुर्सी बड़े अधिकारी की है? उन्होंने जवाब भी देते हुए लिखा- बस उसपर सफेद तौलिया रख दो. उनके इस पोस्ट पर कई लोगों ने अलग-अलग प्रकार के जवाब दिए थे. हाल ही में एक वरिष्ठ पत्रकार ने फिर ट्विटर पर इसी मुद्दे को छेड़ दिया और लिखा- “आज तक समझ से परे है कि अफसर दफ़्तरों में अपनी कुर्सियों पर तौलिया क्यों लगाते हैं…?”
लोगों ने मजाक में यूं तो कई तरह के जवाब दिए जिनमें से सारे जवाब सही नहीं है पर फरवरी में संजय कुमार के ट्वीट पर लोगों के ऐसे उत्तर भी पढ़ने को मिले जो सार्थक मालूम होते हैं. एक ने कहा कि सफेद तौलिया पद का ज्ञात कराती है तो एक ने कहा कि सफेद रंग शुद्धता का होता है, उसे देखकर दफ्तर में आने वाले लोगों को ये एहसास होता है कि अधिकारी भी सफेद रंग की तरह अपने कार्य में सच्चे और ईमानदार हैं. हालांकि, आईआरएस विकास प्रकाश सिंह का पोस्ट काफी हद तक ठीक लगा. उन्होंने लिखा- “इसकी शुरुआत ब्रिटिश काल के दौरान हुई थी. इसके पीछे का मुख्य कारण था उस दौर में बनने वाली पतले कुशन की कुर्सियां. ठंड से बचाव हो इसलिए भी तौलिये का इस्तेमाल होता था. जबकि गर्मियों में अंग्रेज अधिकारी पसीना सोखने के लिए भी इसका इस्तेमाल करते थे. ब्रिटिशकाल से ही ये परंपरा जुड़ गई, जो आज तक कायम है.”