हिन्दू धर्म में बहुत से ग्रंथों की रचना हुई है जिसे मनुष्यो द्वारा पढ़ा और समझा जाता है। हिन्दू ग्रंथो को पढ़ने से बहुत से हिन्दू देवी-देवताओ के विषय में जानकारी मिलती है। हिन्दू ग्रंथो में लिखी हुई जानकारी की माने तो हमें बहुत से अनभिज्ञ बातो के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। हिन्दू धर्म में 6 ग्रन्थ , 18 पुराण और 108 उपनिषध है। जिसमे बहुत सी जानकारी संग्रहित है। सभी ग्रंथो को पढ़ने से मनुष्यो को मन की शांति और ज्ञान की प्राप्ति होती है। लेकिन हिन्दू ग्रंथो में एक ऐसा भी ग्रन्थ है। जिसके पढ़ने और समझने पर सरकार ने रोक लगाई हुई है।
नीलवन्ती यह एक रहस्यमयी ग्रन्थ है। जिसे पढ़ने और समझने के लिए हिन्दू धर्म के साथ – साथ भारत सरकार की तरफ से भी रोक लगाई हुई है। क्योकि यह ग्रन्थ पूर्ण रूप से श्रापित ग्रन्थ है। जिसे अगर किसी मनुष्य के द्वारा पढ़ा या समझा जायेगा तो इसे पूरा पढ़ने वाले की मृत्यु हो जाएगी और अधूरा पढ़ने वाला पूर्ण रूप से पागल हो जायेगा। यही कारण है की भारत सरकार से साथ साथ बहुत भी इस ग्रन्थ को पढ़ने और समझने पर पूर्ण रूप से रोक लगाई हुई है।
नीलवन्ती ग्रन्थ के बारे लिखे एक लेख की माने तो कहा जाता है की इस ग्रन्थ में बहुत से ऐसे मंत्र और श्लोक लिखे हुए है। जिन श्लोक और मंत्रो को पड़ने पर मनुष्य सभी प्रकार के जीव – जन्तुओ से बात कर सकता है और सभी प्रकार के पेड़ – पोधो से उनसे प्राप्त होने वाली ओषधि के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है। इस ग्रन्थ को बहुत ही गोपनीय रखा गया है। ताकि किसी भी प्रकार के मनुष्य इसे प्राप्त न कर सके और किसी भी प्रकार की होनी अनहोनी से बचा जा सके।
नीलवन्ती ग्रन्थ बहुत से गूढ़ रहस्यों भरा हुआ है। इसे एक नीलवन्ती दक्षिणी के के द्वारा लिखा गया था। जो एक बहुत ही अच्छी मंत्रो की जानकारी रखने वाली जमकर थी। इसमें लिखे मंत्रो से किसी भी जीव जंतु से धरती में गठे खजाने और धनसम्पति के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसमे लिखे मंत्रो को पढ़ा कर जीव -जंतु ,पशु – पक्षी और पेड़-पोधो तक की भाषा की समझा जा सकता है। लेकिन यह ग्रन्थ श्रापित होने के कारण आज भी किसी भी मनुष्यो के द्वारा पढ़ने और समझने पर प्रतिबंध है।
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