क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस? : 21 अक्टूबर का दिन हर वर्ष भारतीय पुलिस बल के लिए एक विशेष महत्व रखता है। यह दिन “राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस” के रूप में मनाया जाता है, जब हम अपने उन साहसी साथियों को नमन करते हैं, जिन्होंने अपने कर्तव्य की वेदी पर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। यह अवसर हमें याद दिलाता है कि मातृभूमि की रक्षा में कितने पुलिसकर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
चमोली पुलिस द्वारा पुलिस लाईन गोपेश्वर एवं विभिन्न थाना/चौकियों में शहीद पुलिस कर्मियों की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित की गई। पुलिस अधीक्षक चमोली सर्वेश पंवार द्वारा समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ पुलिस लाईन गोपेश्वर स्थिति शहीद स्थल पर पुष्प चक्र अर्पित कर, दो मिनट का मौन रखकर उन वीरों को श्रद्धांजलि दी गई, जिन्होंने नागरिकों की सुरक्षा एवं राष्ट्र सेवा में अपने प्राणों की आहुति दी।
पिछले वर्ष, अर्थात 01 सितंबर 2023 से 31 अगस्त 2024 के बीच, पूरे देश में 216 पुलिस एवं अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारियों और कर्मियों ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए बलिदान दिया। इनमें उत्तराखंड के चार जवान 04 अ0उ0नि0 कान्ता थापा, मुख्य आरक्षी गणेश कुमार, आरक्षी गोविन्द सिंह भण्डारी एवं आरक्षी गणेश कुमार शामिल हैं। इन सभी ने शौर्य के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए वीरगति को प्राप्त किया।
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस-
वर्ष 1959 में, लद्दाख के हॉट-स्प्रिंग के करीब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की पेट्रोलिंग पार्टी पर चीनी सैनिकों द्वारा घातक हमला किया गया था। इस हमले में 10 CRPF जवान शहीद हुए थे। उस मर्मान्तक घटना के बाद हर वर्ष 21 अक्टूबर को यह दिन अपने कर्तव्य पथ पर प्राणों की आहुति देने वाले पुलिस कर्मियों को याद करने का अवसर बना।
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पुलिस अधीक्षक चमोली ने कहा कि यह दिन हमें उन वीर जवानों की याद दिलाता है, जिन्होंने अपने जीवन को समाज की सुरक्षा के लिए बलिदान कर दिया। उनका बलिदान हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी जिम्मेदारियों को और अधिक उत्कृष्टता के साथ निभाएं। उन्होने सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करने का संकल्प दिलाया। उन्होने कहा कि राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस उन मूल्यों को सम्मानित करने का अवसर है, जिनके लिए हमारे जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है, यह दिन हमें सिखाता है कि राष्ट्र की सुरक्षा एवं शांति के लिए उनके बलिदान को कभी नहीं भुलाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर प्रतिसार निरीक्षक चमोली आनन्द सिंह रावत, निरीक्षक अभिसूचना ईकाई चमोली सचिन चौहान, सहायक अभियोजन अधिकारी मनमोहन सिंह, थानाध्यक्ष गोपेश्वर कुलदीप रावत सहित समस्त अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहें।