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khojinarad HIndi News > Uncategorized > कौन थे बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी के पुत्र?
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कौन थे बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी के पुत्र?

क्या हनुमान जी के पुत्र थे? जानिए सच!

admin
Last updated: 2025/03/03 at 5:38 AM
admin
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5 Min Read
ब्रह्मचारी हनुमान जी के पुत्र
ब्रह्मचारी हनुमान जी के पुत्र
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Highlights
  • हनुमान जी के पुत्र कौन थे?
  • बाल ब्रह्मचारी हनुमान और उनका पुत्र!
  • मकरध्वज का जन्म रहस्य!
  • हनुमान जी और उनके वंशज की कहानी!
  • क्या हनुमान जी के पुत्र थे? जानिए सच!

कौन थे बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी के पुत्र? :  पवन पुत्र हनुमान बाल-ब्रह्मचारी थे. लेकिन मकरध्वज को उनका पुत्र कहा जाता है. यह कथा उसी मकरध्वज की है. वाल्मीकि रामायण के अनुसार, लंका जलाते समय आग की तपिश के कारण हनुमान जी को बहुत पसीना आ रहा था. इसलिए लंका दहन के बाद जब उन्होंने अपनी पूंछ में लगी आग को बुझाने के लिए समुद्र में छलांग लगाई तो उनके शरीर से पसीने के एक बड़ी-सी बूंद समुद्र में गिर पड़ी. उस समय एक बड़ी मछली ने भोजन समझ वह बूंद निगल ली. उसके उदर में जाकर वह बूंद एक शरीर में बदल गई।

ब्रह्मचारी हनुमान जी के पुत्र

मकरध्वज बने पाताल रक्षक : एक दिन पाताल के असुरराज अहिरावण के सेवकों ने उस मछली को पकड़ लिया. जब वे उसका पेट चीर रहे थे तो उसमें से वानर की आकृति का एक मनुष्य निकला. वे उसे अहिरावण के पास ले गए. अहिरावण ने उसे पाताल पुरी का रक्षक नियुक्त कर दिया. यही वानर हनुमान पुत्र मकरध्वज के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

राम और लक्ष्मण का हुआ अपहरण : जब राम-रावण युद्ध हो रहा था, तब रावण की आज्ञानुसार अहिरावण राम-लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल पुरी ले गया. उनके अपहरण से वानर सेना भयभीत व शोकाकुल हो गयी. लेकिन विभीषण ने यह भेद हनुमान के समक्ष प्रकट कर दिया. तब राम-लक्ष्मण की सहायता के लिए हनुमानजी पाताल पुरी पहुंचे. जब उन्होंने पाताल के द्वार पर एक वानर को देखा तो वे आश्चर्यचकित हो गए. उन्होंने मकरध्वज से उसका परिचय पूछा. मकरध्वज अपना परिचय देते हुआ बोला मैं हनुमान पुत्र मकरध्वज हूं और पातालपुरी का द्वारपाल हूं।

हनुमान जी के पुत्र ने किया खुलासा : मकरध्वज की बात सुनकर हनुमान क्रोधित होकर बोले यह तुम क्या कह रहे हो? दुष्ट! मैं बाल ब्रह्मचारी हूं. फिर भला तुम मेरे पुत्र कैसे हो सकते हो?” हनुमान का परिचय पाते ही मकरध्वज उनके चरणों में गिर गया और उन्हें प्रणाम कर अपनी उत्पत्ति की कथा सुनाई. हनुमानजी ने भी मान लिया कि वह उनका ही पुत्र है.लेकिन यह कहकर कि वे अभी अपने श्रीराम और लक्ष्मण को लेने आए हैं, जैसे ही द्वार की ओर बढ़े वैसे ही मकरध्वज उनका मार्ग रोकते हुए बोला- “पिताश्री! यह सत्य है कि मैं आपका पुत्र हूं लेकिन अभी मैं अपने स्वामी की सेवा में हूं इसलिए आप अन्दर नहीं जा सकते.”

पिता पुत्र में हुआ भीषण युद्ध : हनुमान ने मकरध्वज को अनेक प्रकार से समझाने का प्रयास किया, किंतु वह द्वार से नहीं हटा. तब दोनों में घोर युद्ध शुरू हो गया. देखते-ही-देखते हनुमानजी उसे अपनी पूंछ में बांधकर पाताल में प्रवेश कर गए. हनुमान सीधे देवी मंदिर में पहुंचे जहां अहिरावण राम-लक्ष्मण की बलि देने वाला था. हनुमानजी को देखकर चामुंडा देवी पाताल लोक से प्रस्थान कर गई. तब हनुमानजी देवी-रूप धारण करके वहां स्थापित हो गए।

अहिरावण का हुआ वध : कुछ देर के बाद अहिरावण वहां आया और पूजा अर्चना करके जैसे ही उसने राम-लक्ष्मण की बलि देने के लिए तलवार उठाई, वैसे ही भयंकर गर्जन करते हुए हनुमान जी प्रकट हो गए और उसी तलवार से अहिरावण का वध कर दिया. उन्होंने राम-लक्ष्मण को बंधन मुक्त किया. तब श्री राम ने पूछा-“हनुमान! तुम्हारी पूंछ में यह कौन बंधा है? बिल्कुल तुम्हारे समान ही लग रहा है. इसे खोल दो. हनुमान ने मकरध्वज का परिचय देकर उसे बंधन मुक्त कर दिया.मकरध्वज ने श्रीराम के समक्ष सिर झुका लिया. तब श्री राम ने मकरध्वज का राज्याभिषेक कर उसे पाताल का राजा घोषित कर दिया और कहा कि भविष्य में वह अपने पिता के समान दूसरों की सेवा करे. यह सुनकर मकरध्वज ने तीनों को प्रणाम किया. तीनों उसे आशीर्वाद देकर वहां से प्रस्थान कर गए. इस प्रकार मकरध्वज हनुमान पुत्र कहलाए।

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admin March 3, 2025 March 3, 2025
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