शरीर में कौन-सी सुई कहाँ लगेगी ? कैसे होता है तय : क्या आपने कभी गौर किया है कि जब भी हम हॉस्पिटल जाते हैं तो बांह या कमर में इंजेक्शन लगाया जाता है, छोटे बच्चों की तो जांघ में भी डॉक्टर सुई लगा देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों डॉक्टर अलग अलग मामले में आपके शरीर के अलग-अलग हिस्से में इंजेक्शन लगाते हैं… यकीनन आप नहीं जानते होंगे तो चलिए ये जानकारी खोजी नारद की रिसर्च डेस्क आपको दे रही है।
यूँ तो आप या खुद के लिए या किसी रिश्तेदार के लिए अस्पताल ज़रूर गए होंगे लेकिन इस दौरान क्या आपने कभी सोचा है कि डॉक्टर कभी कोई इंजेक्शन बांह पर तो कभी कमर पर क्यों लगाते हैं. ये सुई आखिर शरीर के अलग-अलग अंगों पर क्यों लगाई जाती हैं ? आखिर इसकी क्या वजह है. क्या डॉक्टर मनमर्जी से जगह चुनते हैं या इसके पीछे कोई मेडिकल साइंस है. चलिए बताते हैं, कौन सी सुई शरीर के किस हिस्से पर लगेगी, यह कैसे तय होता है।
कैसे पता करते हैं किस अंग पर लगेगा इंजेक्शन
दरअसल, इंजेक्शन कहां लगेगा, इसका फैसला बहुत सोच-समझकर किया जाता है. ये सिर्फ सुई नहीं होती, ये शरीर के अंदर दवा को पहुंचाने का एक बेहद सटीक और साइंटिफिक तरीका होता है. हर इंजेक्शन का अपना रूट, अपनी गहराई और अपनी स्पीड होती है. इसलिए उसे शरीर के खास हिस्सों में लगाया जाता है. इस फैसले के पीछे मेडिकल ट्रेनिंग, दवा की बनावट, असर की जरूरत और शरीर की संरचना होती है।
इंजेक्शन कई तरह के होते हैं
- इंट्रा मस्कुलर (Intramuscular)- सीधे मांसपेशियों में लगाया जाता है.
- सबक्यूटेनियस (Subcutaneous)- स्किन की सतह के नीचे.
- इंट्राडर्मल (Intradermal)- स्किन की ऊपरी परत में.
- इंट्रावेनस (Intravenous)- नसों के जरिए सीधे ब्लड में.
- इंजेक्शन किस अंग में लगेगा कैसे तय होता है.
1. बांह (Deltoid Muscle) : हर इंजेक्शन का तरीका अलग होता है और उसी के अनुसार शरीर का हिस्सा चुना जाता है. जब दवा कम मात्रा में हो और तेजी से असर चाहिए, तो इंजेक्शन बांह में दिया जाता है. जैसे- वैक्सीनेशन, फ्लू शॉट्स।
2. जांघ (Thigh Muscle Vastus Lateralis) : छोटे बच्चों को ज्यादा इस्तेमाल में आता है. जब बांह की मांसपेशी विकसित नहीं होती या साइट एक्सेस में मुश्किल होती है, तब जांघ में इंजेक्शन लगाया जाता है।
3. पेट (Abdomen) : इंसुलिन जैसे इंजेक्शन जो सबक्यूटेनियस होते हैं, उन्हें पेट की फैट परत में लगाया जाता है ताकि दवा धीरे-धीरे ऑब्जर्व हो।
4. कमर (Buttocks) : कुछ दवाएं जैसे पेन किलर या एंटीबायोटिक जब बड़ी मात्रा में देना हो, तो कमर (Buttocks) को चुना जाता है, क्योंकि वहां मांसपेशी ज्यादा मोटी होती है।
इंजेक्शन की लंबाई और मोटाई से भी तय होती है जगह
सिर्फ दवा ही नहीं, डॉक्टर ये भी ध्यान रखते हैं कि सुई कितनी लंबी और मोटी है. मोटी सुई मांसपेशियों में जाती है, जबकि पतली सुई स्किन के नीचे. सही जगह न चुनने पर इंजेक्शन से नुकसान भी हो सकता है. दवा ठीक से असर नहीं करेगी या इंजेक्शन साइट पर सूजन, दर्द या जलन हो सकती है।
इंजेक्शन के लिए दी जाती है ट्रेनिंग
एक्सपर्ट्स के अनुसार, एक डॉक्टर सिर्फ दवा नहीं देता, उसे ये भी सिखाया जाता है कि किस दवा को किस रूट से देना है, किस मात्रा में देना है और कहां देना है. ये दवा के फार्मूलेशन और असर के आधार पर तय होता है।

