क्रिमिनल कब घोषित होता है मोस्ट वांटेड? : क्या आप जानते हैं हमारे भारत में कोई क्रिमिनल कब बनता है मोस्ट वांटेड और टेरोरिस्ट लिस्ट में कैसे होता है नाम शामिल ? खोजी नारद आज आपको इसी सवाल का जवाब देगा कि भारत किसी अपराधी को मोस्ट वांटेड कैसे घोषित करता है और ईनाम किस आधार पर तय किया जाता है ? भारत में मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) द्वारा तैयार की जाती है. इस लिस्ट से किसी का नाम तभी हटाया जाता है, जब वह पकड़ा जाता है, उसकी मौत हो जाती है या उसके खिलाफ लगाए गए आरोप खारिज हो जाते हैं. दरअसल, भारत में आतंकवाद विरोधी कानून लागू करने और इसके तहत कार्रवाई करने का काम एनआईए के ही जिम्मे है. इसकी लिस्ट में उन बड़े अपराधियों को मोस्ट वांटेड घोषित किया जाता है, जो सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ से बाहर होते हैं।
इनके नाम होते हैं मोस्ट वांटेड की सूची में शामिल
एनआईए की ओर से ऐसे सभी अपराधियों या आरोपितों के बारे में सूचनाएं इकट्ठा की जाती हैं और उन्हें मोस्ट वांटेड की सूची में शामिल किया जाता है. उनके किसी और देश में छिपे होने की संभावना, इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस, अपराध का पूरा विवरण, पासपोर्ट नंबर और पहचान के दूसरे प्रपत्रों के नंबर और घोषित इनाम को भी इस लिस्ट में शामिल करती है. एनआईए की इस लिस्ट में आमतौर पर दूसरे देश में बैठ कर भारत में आतंकवाद फैलाने वाले और अपराध को अंजाम देने वालों के नाम शामिल होते हैं।
मोस्ट वांटेड लिस्ट में पाकिस्तान में बैठे दाऊद इब्राहिम, कनाडा में बैठकर भारत में अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे गोल्डी बराड़, कनाडा के ही गैंगस्टर लखबीर सिंह लांडा, पाकिस्तान में आईएसआई के आश्रय में रह रहे कुख्यात अपराधी रिंडा, दुबई भाग चुके गैंगस्टर कपिल सांगवान उर्फ ’नंदू,’ चरनजीत सिंह उर्फ रिंकू बिहला, अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श दल्ला, कनाडा के पासपोर्ट पर कोलंबिया में रह रहे खालिस्तान टाइगर फोर्स के हरदीप सिंह निज्जर और रमनदीप सिंह उर्फ रमन जज, गुरपिंदर सिंह उर्फ बाबा डल्ला और सुखदुल सिंह उर्फ सुखा दुनेके के नाम शामिल हैं।
ऐसे घोषित किया जाता भगोड़ा
आमतौर पर कोई अपराधी जब अपराध करने के बाद सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ में नहीं आता है तो सीआरपीसी की धारा 82 के तहत फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा की जाती है. इसे सामान्य भाषा में भगोड़ा घोषित किया जाना कहते हैं. सामान्य: अगर किसी आरोपित के खिलाफ गैर जमानती वारंट घोषित हो और कई नोटिस या समन मिलने पर भी सरेंडर नहीं करता तो यह कार्रवाई कोर्ट के जरिए होती है. कोई अपराधी देश छोड़कर भागता है या भागने की कोशिश करता है, तब भी उसके खिलाफ यह कदम उठाया जाता है. कोर्ट को लगता है कि कोई आरोपित जान-बूझकर उपस्थिति से बच रहा है, तो वह फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा प्रक्रिया शुरू कर सकती है. धारा 82 के तहत किसी फरार व्यक्ति की उद्घोषणा के बाद धारा 83 के तहत आरोपित की संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई भी शुरू की जा सकती है।
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अपराधी पर कौन घोषित करता है इनाम?
इसके अलावा ऐसे आरोपितों को पकड़ने के लिए इनाम की भी घोषणा की जाती है. यह एक प्रशासनिक प्रक्रिया है. आमतौर पर पुलिस अफसरों के जरिए इनाम की घोषणा होती है. अलग-अलग स्तर के पुलिस अधिकारी के पास इनाम घोषित करने की एक सीमा होती है. इस पर अंतिम फैसला राज्य सरकार लेती है, क्योंकि कानून-व्यवस्था उसी के अधीन आती है. जो जितना बड़ा अपराधी, उस पर उतना ही बड़ा इनाम घोषित होता है. उदाहरण के लिए भारत में सबसे ज्यादा इनाम मुफाला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति पर रखा गया था. इसकी राशि करीब ढाई करोड़ रुपए है, जबकि दूसरे नंबर पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम पर 25 लाख का इनाम है।