क्या है आत्मा के भटकने का रहस्य : अकाल मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है यह जानने के लिए खोजी नारद की दिलचस्प ख़बरों के साथ बने रहिये , ज्ञान और विज्ञान की रोचक जानकारी देने वाले खोजी नारद न्यूज़ में आपका स्वागत है। पाठकों , जन्म और मृत्यु यही दोनों इस पृथ्वी लोक के लिए अमर हैं । ईश्वर ने इंसान को इतना बुद्धि दिया है कि किसी भी चीज को रिसर्च करके अनुमान लगा सकते हैं मगर किसी के जन्म और मृत्यु कब होंगे यह तो कोई नहीं बता सकते हैं । क्योंकि जो चीज ईश्वर ने तय करके रखते हैं उसका सामना करना एक इंसान के लिए नामुमकिन है ।
जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु है
जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु है और इससे न कोई आज तक बच पाया है और न ही बच पाएगा। सभी की मौत एक न एक दिन निश्चित है। हालांकि मृत्यु कई तरह से आती है। कोई व्यक्ति आनंद से मृत्यु पाता है। कोई अत्यंत दुखी होकर इस लोक से विदा लेता है, तो वहीं सबसे भयानक मृत्यु अकाल मृत्यु मानी जाती है। आत्महत्या, गंभीर बीमारी या कोई हादसा, यह सब अकाल मृत्यु के कारण बनते हैं। आपको बता दें कि गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु से जुड़े कई रहस्य बताए गए हैं। अकाल मृत्यु के कारणों की बात करें तो इसमें पाप करना, दुराचार, स्त्रियों का शोषण, झूठ बोलना, भ्रष्टाचार व कुकर्म आदि शामिल है। बहुत अधिक पाप करने पर व्यक्ति अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है।
आत्मा का भटकना उसकी इच्छाओं पर निर्भर है। यदि आत्मा मृत्यु को स्वीकार नहीं करती, ऐसे में वह भटकती है। ऐसी आत्मओं का हश्र भी बहुत बुरा होता है। कभी किसी दुष्ट तांत्रिक की ग़ुलाम बन जाती है, कभी दुसरे शक्तिशाली प्रेतों की ग़ुलाम। ऐसे में बुरे कर्म इनसे करवाये जाते है, और ऐसी आत्माएं फिर मुक्ति के मार्ग पर लौट कर नहीं आ सकती।
हाँ, यदि कोई अच्छा साधक इनकी मुक्ति करवाएं, तो अवश्य ही अनेक योनि में जन्म ले यह वापस जन्म मरण के बंधन से कर्मों द्वारा मुक्ति पाने के लिए स्वछंद हो जाती है। इसलिए कहा जाता है जीते जी अपनी इच्छाओं का त्याग कर दो, ताकि यह आत्मा मृत्यु को स्वीकार सके। अन्यथा मृत्यु समय से हो या असमय से, आत्मा भटकेगी जरूर, और संकट उसके मार्ग में आएंगे। हमारी अगली कड़ी में होगी एक और रोचक जानकारी।