बोन कैंसर सिर्फ व्यस्क ही नहीं बल्कि बच्चों को भी प्रभावित करता है। यह एक गंभीर बीमारी है। जिसके बारे में लोगों को जानकारी कम है। उन्हें नहीं पता की इसकी जांच के लिए कौन-से मेडिकल टेस्ट करवाना चाहिए। आइए जानते हैं बोन कैंसर की जांच के लिए कौन से टेस्ट करवाए जाते हैं।
बोन कैंसर के लक्षण.
हड्डी के कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। बोन कैंसर के लक्षण:
1. हड्डियों में लगातार दर्द रहना.
2. हड्डियों में सूजन और गांठ होना.
3. हाथ और पैर का बार-बार सुन्न होना.
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4. शरीर में जकड़न महसूस होना.
5. हाथ, पैर या किसी हड्डी का बार-बार फ्रैक्चर होना.
हड्डियों के कैंसर के प्रकार.
किसी भी व्यक्ति में बोन कैंसर की शुरुआत 20 वर्ष की आयु में होती है। यदि ऐसे समय में हड्डियों को पोषण न मिलें तो ये कैंसर का कारण बनता है। हड्डियों के कैंसर के प्रकार में ओस्टियोसार्कोमा, कोंड्रोसारकोमा, इविंग सारकोमा, फाइब्रोसार्कोमा, लिमेयोसार्कोमा, मालिग्नेंट फाइब्रस हिस्टियोसाइटोमा और कोरडोमा शामिल है।
कौन से मेडिकल टेस्ट करवाए जाते हैं.
बोन कैंसर का पता लगाने के लिए एक्स रे, सीटी स्कैन और एमआरआई टेस्ट किया जाता है। यदि इन टेस्ट के जरिए बोन कैंसर की पुष्टि नहीं होती है, तो डॉक्टर बायोप्सी करवाने की सलाह भी दे सकते हैं।
इलाज क्या है.
हड्डियों के कैंसर के लिए पहले सर्जरी की जाती थी। सर्जरी में कैंसर से प्रभावित हिस्से को शरीर से काटकर निकाल दिया जाता था। अब कैंसर के इलाज में अंग निकालने की जरूरत नहीं होती है। बोन कैंसर का इलाज स्टेज, प्रभाव और प्रकार के हिसाब से किया जाता है।
कीमोथेरेपी.
कीमोथेरेपी में मरीज को विशेष प्रकार की दवा दी जाती है। ये दवाएं कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करती हैं। कीमोथेरेपी का इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है।
रेडियोथेरेपी.
रेडियोथेरेपी में मशीन की मदद से कैंसर से प्रभावित हिस्से को नष्ट किया जाता है। हालांकि मशीनों के रेडिएशन से स्वस्थ्य सेल्स के खत्म होने का खतरा रहता है।