कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप मे चुना गया हैं। लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव से एक दिन पहले कांग्रेस ने राहुल गांधी को विपक्ष का नेता बनाने का फैसला किया।
विपक्ष के नेता बनने के बाद राहुल को कई तरह की सुविधाएं भी मिलेंगी।
जानकारी के अनुसार,,कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी 18वीं लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे। विपक्ष के नेता के तौर पर अब गांधी को कैबिनेट मंत्री का पद मिलेगा।
इससे प्रोटोकॉल सूची में उनका स्थान भी बढ़ जाएगा। विपक्ष के नेता बनने के बाद राहुल गांधी को सुविधाएं तो मिलेंगी साथ ही उनकी जिम्मेदारी भी बढ़ जाएगी।
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इस बार राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया है। इससे पहले वे केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के अमेठी से लोकसभा प्रतिनिधि के रूप में काम कर चुके हैं।
यह उनका 5वां मौका है जब वे लोकसभा में पेश हुए हैं।
10 साल बाद मिला पद
10 वर्ष के अंतराल के बाद किसी नेता को औपचारिक रूप से निचले सदन में विपक्ष के नेता का दर्जा दिया गया है।
16वीं और 17वीं लोकसभा में कांग्रेस या अन्य विपक्षी दलों के पास इस पद के लिए आवश्यक 10 प्रतिशत सदस्य नहीं थे। कांग्रेस ने इस बार लोकसभा चुनाव में 99 सीट जीती है।
लोकसभा में मिलेगी पहली लाइन में सीट
राहुल गांधी को विपक्ष के नेता के तौर पर लोकसभा की सबसे पहली लाइन में बैठेंगे। उपसभापति की सीट इसके बगल में होगी। इसके अलावा, उन्हें संसद भवन में सचिवालय और अन्य सुविधाओं वाला एक कमरा दिया जाएगा।
आधिकारिक अवसरों पर विपक्ष के नेता को भी कुछ अधिकार दिए जाते हैं। चुने हुए अध्यक्ष के साथ कुर्सी पर जाना और संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए अग्रिम लाइन की सीट मिलना शामिल है।
प्रमुख नियुक्तियों में निभाएगें भूमिका
केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार से संबंधित चयनों के साथ-साथ, विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी लोकपाल, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों तथा केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के निदेशक जैसे महत्वपूर्ण नियुक्तियों से संबंधित महत्वपूर्ण पैनल का हिस्सा होंगे। प्रधानमंत्री इन पैनल के प्रमुख होते हैं।
सरकार की नीतियों पर भी उठाएंगे सवाल
सरकारी नीति के बारे में “प्रभावी” प्रश्न उठाना विपक्ष के नेता की मुख्य जिम्मेदारियों में से एक है। विपक्ष के नेता की भूमिका वास्तव में बहुत चुनौतीपूर्ण होती है क्योंकि उसे सरकार की विधायिका और जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करनी होती है।
नेता प्रतिपक्ष के रूप में उन्हें सरकारी प्रस्तावों/नीतियों के विकल्प प्रस्तुत करने होते हैं।
विपक्ष का नेता शैडो पीएम
विपक्ष का नेता “शैडो प्रधानमंत्री” होता है। उसके पास एक ‘शैडो मंत्रिमंडल’ होता है – जो चुनाव में अपनी पार्टी के बहुमत प्राप्त करने या वर्तमान सरकार के त्यागपत्र देने या पराजित होने की स्थिति में सरकार बनाने की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहता है।
एक सरकारी दस्तावेज में कहा गया है कि इसलिए विपक्ष के नेता को अपने शब्दों और कार्यों को सावधानीपूर्वक मापना चाहिए।
साथ ही राष्ट्रीय हित के मामले में उतनी ही जिम्मेदारी के साथ कार्य करना चाहिए, जितनी प्रधानमंत्री से अपेक्षा की जाती है।
विपक्ष के नेता बनने के बाद राहुल को दी जाएगी ये सुविधाएं
विपक्ष के नेता के रूप में, राहुल गांधी संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 की धारा 3 में सूचीबद्ध वेतन और अन्य लाभ और भत्तों के अलावा, एक सांसद के समान स्थिति और वेतनमान पर एक सचिव की सहायता के हकदार होंगे।
एक कैबिनेट मंत्री की तरह निजी स्टाफ भी उनके पास होगा। गांधी को चार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, एक हिंदी स्टेनो, एक क्लर्क, एक सफाई कर्मचारी, दो अतिरिक्त निजी सचिव, दो सहायक निजी सचिव और दो निजी सहायक भी मिलेंगे।
सत्कार भत्ते के अलावा, उन्हें 1954 अधिनियम की धारा 8 के तहत निर्धारित अवधि के लिए उसी दर पर निर्वाचन क्षेत्र भत्ता मिलेगा।
इस साल हुई थी राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री
2004 में राहुल गांधी ने भारत में अपनी राजनीतिक शुरुआत की। राहुल पहली बार अमेठी से चुनाव लड़े थे। उनके दिवंगत पिता राजीव गांधी (1981-91) और मां सोनिया गांधी (1999-2004) दोनों ने इसी सीट से चुनाव लड़ा था।
राहुल गांधी को 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। 16 दिसंबर, 2017 को उन्होंने पार्टी की कमान संभाली। लोकसभा चुनावों (Loksabha election) में हार के बाद उन्होंने मई 2019 में अध्यक्ष पद (presidency ) छोड़ दिया था।